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कुछ नया सोचते हैं

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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जीवन के
नये सफ़र में
मेरे जीवनसाथी,
लेकर हाथों में हाथ
चलो! आज कुछ,
नया सोचते हैं।
जो तुमसे या
मुझसे पहले,
कभी किसी ने
नहीं सोचा।
तुम मेरी,
तारीफ़ न करना
मैं भी,
नहीं बताऊंगी
तुम्हारी कोई भूल।
मेरे झल्लाने पर,
तुम हौले से
मुस्करा देना,
मैं भी
पी जाऊंगी
तुम्हारे तंज़।
बिना कहे,
समझ लेना तुम
मेरे मन की बात,
पढ़ लूँगी मैं भी
तुम्हारा
अनकहा मौन।
मूंद कर आँखें भी,
पहचान लूँगी
मैं तुम्हें,
तुम्हारे क़दमों की
आहट से।
तुम भी,
महसूस करना
मेरी ख़ुशबू से,
मेरे होने का
अहसास।
तेरे स्पर्श
बन जाएंगे
मेरे लिये शब्द,
मेरे जज़्बात
छू लेंगे तुझे,
रूह तक।
कभी-कभी,
मौन भी
बोलते हैं,
चलो! आज
कुछ नया
सोचते हैं।

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।