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ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध लेखक-अभिनेता गिरीश कर्नाड नहीं रहे

पद्मश्री,पदमभूषण से सम्मानित थे,दिग्गज हस्तियों ने दी श्रद्धान्जलि

बेंगलरू।

दक्षिण भारत और बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता गिरीश कर्नाड का निधन सोमवार को हो गया है। जाने-माने अभिनेता,फ़िल्म निर्देशक ,नाटककार, लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता गिरीश कर्नाड बीते महीने ही ८१ वर्ष के हुए थे।
लंबे समय से बीमार चल रहे श्री कर्नाड आखिरी बार ‘टाइगर जिंदा है’ फिल्म में नजर आए थे। उन्होंने ८१ साल की उम्र में बेंगलुरू स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। उन्हें पद्मश्री,पद्मभूषण और ज्ञानपीठ जैसे सम्मान मिले हैं। फिल्म अभिनेता के अलावा उनकी पहचान फिल्म निर्देशक, कन्नड़ लेखक और नाटककार के रूप में भी रही। उन्होंने दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी खूब नाम कमाया।
गिरीश कर्नाड का जन्म १९३८ में हुआ था। १९७० में कन्नड़ फ़िल्म ‘संस्कार’ से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करने वाले इस अभिनेता की पहली फ़िल्म को ही कन्नड़ सिनेमा के लिए राष्ट्रपति का स्वर्ण कमल पुरस्कार मिला। आर.के. नारायण की किताब पर आधारित टीवी धारावाहिक ‘मालगुड़ी डेज़’ में उन्होंने स्वामी के पिता की भूमिका निभाई,जो दूरदर्शन पर आज भी उतना ही मशहूर है। आपने १९९० की शुरुआत में विज्ञान पर आधारित एक टीवी कार्यक्रम ‘टर्निंग पॉइंट’ में होस्ट की भूमिका निभाईजो तब का बेहद लोकप्रिय साइंस कार्यक्रम रहा। उनकी आखिरी फिल्म कन्नड़ भाषा में ‘अपना देश’ थी। उनकी मशहूर कन्नड़ फ़िल्मों में से तब्बालियू मगाने,ओंदानोंदु कलादाली, चेलुवी,कादु और कन्नुड़ु हेगादिती रही हैं। हिंदी में ‘मंथन’ और ‘पुकार’ जैसी फ़िल्में करने वाले इस नायक की कन्नड़ और अंग्रेज़ी भाषाओं पर बराबर पकड़ थी। गिरीश कर्नाड को साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार,पद्म श्री,पद्म भूषण,संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार,ज्ञानपीठ पुरस्कार और कालिदास सम्मान से भी सम्‍मानित किया गया है। महान साहित्यकार और अभिनेता श्री कर्नाड कॆ निधन पर हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार शोक संवेदना व्यक्त करता है।

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