बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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(रचनाशिल्प:फ़ाइलुन×४, २१२ २१२ २१२ २१२)
जिंदगी से कभी दूर जाना नहीं।
राह मुश्किल बड़ी,जी चुराना नहीं।
दिल परेशां अगर हो जहां में कभी,
आप फिर भी किसी से जताना नहीं।
ऐ मेरे हमसफ़र हार कर जिंदगी,
दर्द-ए-गम का आँसू बहाना नहीं।
प्यार की चाह में जो भटकना पड़े,
गर नहीं भी मिले दिल दुखाना नहीं।
यार ‘बोधन’ गमों का समन्दर जहां,
याद रखना हमेशा भुलाना नहीं॥