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४ पैसे वाला गणित

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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हम सभी ने बड़े-बुजुर्गों से सुन ही रखा है,-‘चार पैसे कमाओगे,तब समझ में आएगा…,चार लोग क्या कहेंगे…,चार दिन की चाँदनी,फिर अंधेरी रात…’ वगैरह-वगैरह। ऐसी अनेक तरह के अर्थों को समझाती अनेक कहावतें हमारी संस्कृति में उपलब्ध हैं। हम में से अनेक ने अपने बुजुर्गों को डाँट कर अपने से छोटों को कहते सुना ही होगा कि,’चार पैसे कमाने की अक्ल नहीं है। देर तक सोने में मन तो लगता है न ?’
इसी तरह अपने दोस्त को “सारी जिंदगी निकली जा रही है कमाने में,लेकिन अभी तक चार पैसे नहीं जुटा पाया हूँ”, कहते सुना होगा।
इसी कड़ी में अपने जीवन से जुड़ी एक घटना-
हमारे समय में ११वीं में बोर्ड की परीक्षा के बाद में ही महाविद्यालय में दाखिला होता था। इसलिए नवीं में ही विज्ञान,वाणिज्य या कला संकाय में से एक पर सोच-विचार कर निर्णय करना आवश्यक होता ताकि ३ साल बाद यानि ग्यारहवीं की बोर्ड परीक्षा के बाद स्नातक वाली पढ़ाई उसी अनुरूप पूरी की जा सके। सो मेरे प्रधानाध्यापक ने आठवीं में गणित वाले अच्छे परिणाम स्वरूप मेरे बड़े भाई को समझा कर विज्ञान संकाय में मेरे दाखिले का आवेदन ले लिया। दस-ग्यारह माह पश्चात एक दिन मेरी विज्ञान वाली पुस्तकों को देख पिताजी के ध्यान में आया कि मैंने तो विज्ञान संकाय ले रखा है, सो बिफर पड़े और कह दिया कि,’विज्ञान अपने काम की नहीं। वाणिज्य संकाय से पढ़ाई करनी है। ध्यान रखना,चार पैसे जब पास में होंगे तभी यह दुनिया तुम्हारी कद्र करेगी। इसलिए चार पैसे कमाने पर ध्यान देना है।’ उस समय तो मैं यही समझा कि पढ़ाई के साथ कमाने का समझा रहे हैं,लेकिन बाद में यह चार पैसे वाला गणित समझ में आया जो इस प्रकार है-

पहले पैसा को कुँए में डालना- मतलब “अपने परिवार के पेट रूपी कुँए में डालना होता है।” अर्थात अपना तथा अपने परिवार पत्नी,बच्चों का भरण-पोषण करना,पेट भरने के लिए।

दूसरे पैसे से पिछला कर्ज उतारना- मतलब “माता-पिता द्वारा किए गए हमारे पालन-पोषण वाला क़र्ज़ उतारने के लिए…।” यानि उनकी सेवा के लिए दूसरा पैसा है।

तीसरे पैसे को आगे क़र्ज़ देना है-मतलब “अपनी संतान को पढ़ा-लिखा कर योग्य (क़ाबिल)बनाने के लिए ताकि वो भी आगे वृद्धावस्था में आपका ख़्याल रख अपना कर्ज उतार सकें…।”

चौथा पैसा को संभाल-मतलब “आड़े वक्त के लिए जमा करने के लिए होता है।” अर्थात शुभ कार्य करने के लिए दान,सन्त सेवा,असहायों की सहायता करने के लिए,यानि निष्काम सेवा करना,क्योंकि हमारे द्वारा किए इन्हीं शुभ कर्मों का फल हमें इस जीवन के बाद मिलने वाला है।

कुल मिलाकर चार पैसे का मतलब सम्पूर्ण धन से है और उसके चार हिस्सों को जिंदगी में कैसे उपयोग करना है,या उनका जिंदगी में क्या महत्व है, कैसे खर्च करें,किस किस मद में खच करें,को समझ लेना है। यदि आपने तीन हिस्से किए तो ऊपर अनुसार सारे कार्य सुचारु रूप से पूरे नहीं कर पाएंगे और चार के बाद पाँचवे हिस्से की ज़रूरत ही नहीं है..! अतः उपरोक्त वर्णित कार्यों को सही ढंग से पूर्ण करने के लिए हमें धन को चार हिस्सों में विभाजित करना आवश्यक होता है।