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अटल हमारे, अटल तुम्हारे

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’
कानपुर(उत्तर प्रदेश)
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‘अटल’ जिंदगी…

अटल हमारे अटल तुम्हारे,
नहीं रहे अब बीच हमारे।
जन-जन के थे राज दुलारे,
अटल हमारे अटल तुम्हारे॥

बेबाक रहे बोल-चाल में,
मस्ती दिखती चाल-ढाल में।
अश्क बहाते घर-चौबारे,
अटल हमारे अटल तुुम्हारे…॥

अगर कहीं कुछ सही न पाया,
राजधर्म तब जा सिखलाया
इसीलिये थे सबके प्यारे,
अटल हमारे अटल तुम्हारे…॥

सजे मंच पर जब आते थे,
झूम-झूम कर फिर गाते थे
नहीं बिसरते आज बिसारे,
अटल हमारे अटल तुम्हारे…॥

चला गया जनता का नायक,
छोड़ सभी कुछ यार यकायक
जन-जन उनको आज पुकारे,
अटल हमारे अटल तुम्हारे…॥

किया देश हित जीवन अर्पण,
बिरला देखा गूढ़ समर्पण
रोते हैं यूँ चाँद-सितारे,
अटल हमारे अटल तुम्हारे…॥

कम से कम की दिल आज़ारी,
खेली जम कर अपनी पारी
लगा रहे सब मिल जयकारे,
अटल हमारे अटल तुम्हारे…॥

राजनीति थी खेल-खिलौना,
खेला करके सबको बौना।
शब्द चढ़ाये, शब्द उतारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे…॥

परिचय : अब्दुल हमीद इदरीसी का साहित्यिक उपनाम-हमीद कानपुरी है। आपकी जन्मतिथि-१० मई १९५७ और जन्म स्थान-कानपुर हैL वर्तमान में भी कानपुर स्थित मीरपुर(कैण्ट) में ही निवास हैL उत्तर प्रदेश राज्य के हमीद कानपुरी की शिक्षा-एम.ए. (अर्थशास्त्र) सहित बी.एस-सी.,सी.ए.आई.आई.बी.(बैंकिंग) तथा  सी.ई.बी.ए.(बीमा) हैL कार्यक्षेत्र में नौकरी(वरिष्ठ प्रबन्धक बैंक)में रहे अब्दुल इदरीसी सामाजिक क्षेत्र में समाज और बैंक अधिकारियों के संगठन में पदाधिकारी हैंL इसके अलावा एक समाचार-पत्र एवं मासिक पत्रिका(उप-सम्पादक)से भी जुड़े हुए हैंL लेखन में आपकी विधा-शायरी(ग़ज़ल,गीत,रूबाई,नअ़त) सहित  दोहा लेखन,हाइकू और निबन्ध लेखन भी हैL प्रकाशित कृतियों की बात की जाए तो-नीतिपरक दोहे व ग़ज़लें,एक टुकड़ा आज,ज़र्रा-ज़र्रा ज़िन्दगी,क्योंकि ज़िन्दा हैं हम(ग़ज़ल संग्रह) तथा मीडिया और हिंदी (लेख संग्रह) आपके नाम हैL आपको सम्मान में ज्ञानोदय साहित्य सम्मान विशेष है,जबकि उपलब्धि में सर्वश्रेष्ठ लेखक सम्मान,पीएनबी स्टाफ जर्नल(पीएनबी,दिल्ली) से सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मान भी हैL आपके लेखन का उद्देश्य-समाज सुधार और आत्मसंतुष्टि हैL

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