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आए हैं कंत लेकर उत्सव बसंत

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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वसंत पंचमी:ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव…

माघ शुक्ल दिवस बसंत पंचमी पावन,
आई माँ वीणावादिनी ले आशीष मनभावन
जय जय हे विद्यादायिनी देवी सरस्वती,
वाणी बुद्धि विवेक संस्कृति ज्ञान कला की देवी
कादम्बरी वत्सला हंस वाहिनी माता,
लाती हो शारदे मॉं सुख समृद्धि उल्लास!
बसंतोत्सव मनाती प्रकृति परी,
क्षितिज से धरा तक मुस्कान बसंती!
दिवाकर की किरणें लगतीं कोमल भली,
सज रही वसुंधरा जीव जड़ चेतन का आनंद
ऋतुराज की चतुरंगिणी सेना हँसी,
आए हैं कंत लेकर उत्सव बसंत।

शीत ठिठुरन गई आई उमंग,
तम हटा उल्लास लाए प्रकृति
झूमे गाए धुन बासंती सुमन,
भ्रमरों का गुंजन पीते मकरंद
रंगीन तितलियाँ लगती परी,
थिरके धुन पर डालियाॅं नव पल्लवित
करती है कोयलिया बागों में कुहूकन,
आ जाओ प्रियतम मोहन
आए हैं कंत लेकर उत्सव बसंत।

वनों में दमके नारंगी पलाश,
जीव-जंतु लिए उमंग तरंग
उल्लसित खग उड़ते नापे आकाश,
पंछी चहकन लुभाए पेड़ों में वास
नव हरीतिमा जगाए हुलास,
देती सरस्वती नव सृजन विश्वास
आए हैं कंत लेकर उत्सव बसंत।

खेतों में लहलहाती सरसों पीली,
ताल पर झूमे-गाए आनंद
इठलाती लहर लहर नदियाँ चली,
अमृत स्नान करें महाकुंभ जन संत,
पूजन को चली बालिका नारी सभी
संस्कृति अमूल्य धरोहर भली,
पहने पीली साड़ी परिधान
मंगल गीत गाओ आई देवी बागेश्वरी,
कृष्ण की बाँसुरी धुन बज रही
नन्हीं बालाएं सजी मोहती निर्मल,
उत्सव प्रकाश उत्सव है मन,
जगाती हैं माँ हृदय विश्वास
आए हैं कंत लेकर उत्सव बसंत।

पूजन करें विद्यालय-शिक्षा संस्थान,
कृपा करो माँ विद्या विवेक ज्ञान
कला विज्ञान लय राग गीत सृजन,
जग में शुचिता प्रेम सौहार्द
प्रगति उन्नति पथ पर बढ़े कदम,
देवी शारदे मिले वाणी शब्द आशीष
आपकी दया दृष्टि से उन्नत हो शीश।
आए हैं कंत लेकर उत्सव बसंत,
ज्ञान कला संस्कृति का उत्सव आनंद॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है |