बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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आगे-पीछे देख कर,चलना है संसार।
कहीं धूप छाया मिले,मत होना लाचार॥
मत होना लाचार,सुखी से हाथ बँटाना।
हिम्मत से हो काम,कर्म पथ बढ़ते जाना॥
कहे ‘विनायक राज’,लगन से किस्मत जागे।
होंगे उन्नति हाथ,बढ़ोगे सबसे आगे॥