कुल पृष्ठ दर्शन : 23

You are currently viewing आजादी के जश्न से नए संकल्प बुनें

आजादी के जश्न से नए संकल्प बुनें

ललित गर्ग

दिल्ली
**************************************

स्वतंत्रता दिवस विशेष…

भारत का ७८ वां स्वतंत्रता दिवस आजादी अमृतकाल के कालखंड के सन्दर्भ में एक विशाल एवं विराट इतिहास को समेटे हुए नये भारत के नये संकल्पों की सार्थक प्रस्तुति देने और नए संकल्प बुनने का अवसर है। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना का स्मरण करने से कहीं ज्यादा है, यह भारत की चिरस्थायी भावना, समृद्ध विरासत और इसकी विविध आबादी को जोड़ने वाली एकता का जश्न है। यह स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों का सम्मान करने, कुछ वर्षों में हासिल प्रगति का जश्न मनाने और निरंतर विकास और समृद्धि से भरे भविष्य की आशा करने का दिन है। ‘विकसित भारत’ की थीम के साथ इस वर्ष का स्वतंत्रता दिवस भारत की भावी दशा-दिशा रेखांकित करते हुए उसे विश्व गुरु बनाने एवं दुनिया की तीसरी आर्थिक महाताकत बनाने का आह्वान होगा। यह शांति का उजाला, समृद्धि का राजपथ, उजाले का भरोसा एवं महाशक्ति बनने का संकल्प है। कोई भी विकसित होता हुआ देश किन्हीं समस्याओं पर थमता नहीं है। समाधान तलाशते हुए आगे बढ़ना ही जीवंत एवं विकसित देश की पहचान होती है।
स्वतंत्रता दिवस एक दुर्लभ अवसर है, जो इस बात का विश्लेषण करता है कि, हम कहाँ से कहाँ तक पहुंच गए। अंतरिक्ष हो या समंदर, धरती हो या आकाश, देश हो या दुनिया आज हर जगह भारत का परचम फहरा रहा है। भारत ने जितनी प्रगति की है, उसे देखकर हर देशवासी को भारतीय होने का गर्व हो रहा है तो इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया जाना कोई अतिश्योक्ति नहीं है, इसकी चर्चा करना राजनीतिक नहीं, भारत की सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक समृद्धि का बखान है। केवल अपना उपकार ही नहीं, परोपकार भी करना है। अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए भी जीना है। यह हमारा दायित्व भी है और ऋण भी, जो हमें अपने समाज और अपनी मातृभूमि को चुकाना है। भारत तो अतीत से विश्व को परिवार मानता रहा है, तभी उसने वसुधैव कुटुंबकम् का मंत्र उद्घोष किया। मोदी ने अतीत की उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए विश्व को अपना परिवार मानने की भावना का परिचय बार-बार दिया है। हम भारत के लोग विश्व मंगल की कामना की पूर्ति तभी अच्छे से कर सकते हैं, जब पहले राष्ट्र मंगल की भावना से ओत-प्रोत हों। इसके लिए जो अतीत के उत्तराधिकारी और भविष्य के उत्तरदायी हैं, उनको दृढ़ मनोबल और नेतृत्व का परिचय देना होगा। पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर राष्ट्रीयता को जीना होगा। यही भावना सबल, सक्षम और समरस राष्ट्र बनाएगी, विश्व में भारत का मान बढ़ाएगी। इसी से भारत विश्वगुरु बनेगा। आज जब भारत अपने पडोसी राष्ट्रों की अस्थिर, अराजक एवं हिंसक घटनाओं से घिरा है, तब प्रधानमंत्री ने यह भरोसा दिलाया कि अनेक चुनौतियों के बावजूद भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, सुरक्षित और विकसित राष्ट्र का सपना साकार करने को तत्पर है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मूल मंत्र को साकार करते हुए मोदी देश की तकदीर एवं तस्वीर बदलने में जुटे हैं। इससे यह तो साफ हो गया कि वे इन बुराइयों से निपटने और उनके खिलाफ जनमत का निर्माण करने के लिए अपने तीसरे कार्यकाल में संकल्प ले चुके हैं। उन्होंने राजनीति ही नहीं, बल्कि जन-जन में व्याप्त होते भाई-भतीजावाद एवं परिवारवाद जैसी अनेक विसंगतियों एवं विषमताओं को देश के लिए गंभीर खतरा बताया।
आधारभूत ढांचों का विकास किसी देश की क्षमता का स्पष्ट प्रमाण है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक भारत के आधारभूत ढांचों के विकास की कहानी भारत की कुशल नीतियों को बयां करती है। भारत बुनियादी ढांचों के विकास में अब वैश्विक स्तर छू रहा है। भारत दुनिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। बिजली की औसत उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में २०.५ घंटे और शहरी क्षेत्रों में २३.५ घंटे तक पहुंच गई है। ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल की एक रिपोर्ट के अनुसार २०२५ तक इंटरनेट के कुल नए उपयोगकर्ताओं में लगभग ५६ फीसदी ग्रामीण भारत से होंगे। आजादी के पहले पर्यटन जहां तीर्थाटन और देशाटन तक सीमित था, आजादी के बाद व्यवस्थित उद्योग के रूप में विकसित होना शुरू हुआ। आज स्थिति यह है कि, पर्यटन के मानचित्र में भारत एक प्रमुख देश के तौर पर दर्ज है। लगातार हुए सरकारी प्रयासों के फलस्वरूप यह उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा संबल भी बना है। हालांकि, अभी ऊँचाइयाँ छूना बाकी है।

प्रधानमंत्री ने देश में १३.५ करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है। निश्चित ही भारत से गरीबी दूर हो रही है। देशवासियों को इस बात का अहसास होने लगा है कि, जब देश आर्थिक रूप से मजबूत होता है तो तिजोरी ही नहीं भरती, बल्कि देश का सामर्थ्य भी बढ़ता है। हमें आने वाले कल के लिए संघर्ष करना है। हमें विश्व की ओर ताकने की आदत छोड़नी होगी, राजनीतिक संकीर्णता से भी ऊपर उठना होगा। जिन्हें भारत पर विश्वास है, अपनी संस्कृति, बुद्धि और विवेक पर अभिमान है, उन्हें कहीं अंतर में अपनी शक्ति का भान है, वे जानते हैं कि भारत आज पीछे पीछे चलने की मानसिकता से मुक्ति की ओर कदम बढ़ा चुका है। हमें जीवन का एक-एक क्षण जीना है-अपने लिए, दूसरों के लिए यह संकल्प सदुपयोग का संकल्प होगा, दुरुपयोग का नहीं। बस यहीं से शुरू होता है नीर-क्षीर का दृष्टिकोण। यहीं से उठता है अंधेरे से उजाले की ओर पहला कदम। वाकई देश में सबको अपना कर्तव्य निभाना होगा। प्रधानमंत्री ने उचित ही कहा है कि, यदि सरकार का कर्तव्य है-हर समय बिजली देना, तो नागरिक का कर्तव्य है-कम से कम बिजली खर्च करना। अगर हमने इन संकल्पों को गंभीरता से लिया, तो भारत को विश्वगुरु होने से कोई नहीं रोक सकेगा। इससे भारत एक आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित होगा।