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आना-जाना लगा रहता

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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ये दुनिया जहान का मेला,
लगा हुआ है संसार में
कोई साथी नहीं है यहाँ तेरा,
क्योंकि आना-जाना लगा रहता है…।

ज़िन्दगी की डोर कब टूट जाए,
पता ही नहीं चलता है जीवन में
कोई किसी का नहीं होता,
क्योंकि आना-जाना लगा रहता है…।

रिश्ते-नाते बंधन सब खो जाते हैं,
परोपकार अच्छे बोल व संस्कार याद आते हैं
जीवन में ज़िन्दगी कब दगा दे जाए!
क्योंकि आना-जाना लगा रहता है…।

राह में राही रुकना नहीं है तुझे कभी,
क्योंकि चार दिन है तेरे पास।
फिर क्यों दुःखी होता है तू, चलते रह,
क्योंकि, आना-जाना लगा रहता है॥