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उलझन

डॉ.सोना सिंह 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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कमीशन-नॉन कमीशन का अंतर
सुलझता ही नहीं है,
सिपाही और अफसर का अंतर
बदलता ही नहीं हैl

सोलह पन्ने पर करके हस्ताक्षर
दोनों निकल पड़ते हैं,
देश की राह पर
भले ही हो सिपाही या अधिकारी,
करना होती है दोनों
को देश के प्रति वफादारी,
लगाकर जान की बाजी।

यु़द्ध हो कोई कारगिल या पुलवामा
दोनों के पास है यहीं रक्षासूत्र,
सिपाही को हो या अधिकारी
देश की रक्षा की जिम्मेदारी,
करती रहे पत्नी इंतजार…
या फिर बेटी करे इसरार
कोई राह नहीं तकती इन्हें,
सिर्फ माँ की आजादी की
रहती है दरकार।

सिपाही हो या अधिकारी,
दोनों को होती है वर्दी सबसे प्यारीll

परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैl संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याताके रूप में कार्यरत हैंl यहां विभागाध्यक्ष रही डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।

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