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ऋतुराज पधारो

मीरा सिंह ‘मीरा’
बक्सर (बिहार)
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वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव…

आओ जी ऋतुराज पधारो।
मौसम के सरताज पधारो॥

तुझसे मिलने को है आतुर,
कुदरत के यह सभी नजारें।
महकी-महकी आज वादियाँ,
सरसों फूली खेत हमारे॥
मृदुल हवाएँ गीत सुनाती,
दिल देता आवाज पधारो।
आओ जी ऋतुराज पधारो,
मौसम के सरताज पधारो…॥

मन बासंती हुआ हमारा,
मस्ती में झूमे जग सारा।
उत्सव का माहौल हुआ है,
मौसम आया प्यारा प्यारा॥
तुमसे करती हूँ हथजोड़ी,
अवगुण मेरे सभी बिसारो।
आओ जी ऋतुराज पधारो,
मौसम के सरताज पधारो…॥

फूलों से ये लदी डालियाँ,
स्वागत में सज शीश झुकायीं।
रंग-बिरंगी सभी तितलियाँ,
कलियों को नवगीत सुनायीं॥
सुनो शीत की आज विदाई,
आओ बसंत आज पधारो।
आओ जी ऋतुराज पधारो,
मौसम के सरताज पधारो…॥