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ओ प्यारी सखी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

चल सखी,
कुछ अधूरी बातें करते हैं,
हृदय के इस खालीपन को
यादों से लबरेज करते हैं।
चल कुछ अधूरी बाते करते हैं…

इतने सालों की खमोशी को
कुछ पलों में भरते हैं,
चल अपने बचपन को जीते हैं
फेंकी हुई नावों को फिर से,
समेट कर
बरसात के पानी पर फिर,
चलाते हैं।
चल कुछ अधूरी बातें करते हैं…

चल कुछ नए ख्वाबों को बुनते हैं
अधूरी पड़ीं गुड़िया को,
पूरा करते हैं
चल फिर एक बार बारिश की फुहारों में,
अटखेलियां करते हैं
चल सखी,
कुछ अधूरी बातें करते हैं…

गाँव की इन पक्की सड़कों में
बचपन की कच्ची पगडंडी को,
खोजते हैं
बेरी के उस पेड़ पर,
एक बार फिर चढ़ते हैं
चल कुछ बातें करते हैं।
चल सखी,कुछ बातें करते हैं…

रस्सी की वो कूद को
एक बार फिर जीतते हैं,
वो कच्चे खपरैल के विद्यालय में
टन-टन करती घण्टी को,
फिर बजा कर भागते हैं।
चल सखी,कुछ बातें करते हैं…

यादों की इस सूनी हवेली को
अपने मधुर गीतो से भरते हैं,
चल सावन के इस मधुर मास में
झूलों के संग किलकारी भरते हैं।
चल फिर हाथ थाम कर,
अपने खो चुके बचपन
को ढूँढते हैं।
चल सखी…॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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