कुल पृष्ठ दर्शन : 281

You are currently viewing अब के बरस…

अब के बरस…

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

बादल सौहार्द छाये,प्रेम वर्षा बरसाये।
घृणा द्वेष धूल जाए,बरखा वो चाहिये।
छतरी नेह ओढ़ के,भरोसे फूल तोड़ के।
ईष्या कीच छोड़ के,भीगते भिगाईये।

दया की छप-छपाक,बढ़े जल दान बाढ़।
हिंसा-अन्याय की गाज दुनिया बचाईये।
बिजली अत्याचार की,त्रास न फटे बदली।
हरी घास उल्लास की,मन में उगाईये।

पपीहा सद्भाव की,चातक लगाव की।
पौधे प्यार छाँव वाली अब तो लगाइये।
कजरी सहयोग की,मल्हार विश्वास की।
बरसाती बारह मासी,साथ मिल गाइये॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply