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कदर

अरुण वि.देशपांडे
पुणे(महाराष्ट्र)
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इस कदर खुद के चश्मे से कभी,
दुनिया को कभी भी ना देखना।

देखो लोग भी कदर करने लगेंगे,
तुम सीखो औरों की कदर करना।

लोग चाबी भरे खिलौने नहीं होते,
वो तुम्हारे इशारों पर कभी नाचे ना।

वास्तव नहीं होता कभी भी सपना,
मनगढ़ंत सपने वास्तव में ना लाना।

औरों से सिर्फ लेना, बदले में कुछ ना,
एक हाथ से ताली कभी ना बजाना।

अपनी ही अपेक्षा नहीं थोपा करते,
बिना मतलब कभी दिया भी करना।

जो जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकारो,
जो साथ है उनकी तो कदर करो ना॥

परिचय-हिंदी लेखन से जुड़े अरुण वि.देशपांडे मराठी लेखक,कवि,बाल साहित्यकार व समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। जन्म ८ अगस्त १९५१ का है। आपका निवास पुणे के बावधन (महाराष्ट्र) में है। इनकी साहित्य यात्रा प्रिंट में १९८३ से व अंतरजाल मीडिया में २०११ से सक्रियता से जारी है। श्री देशपांडे की लेखन भाषा-मराठी,हिंदी व इंग्लिश है। आपके खाते में प्रकाशित साहित्य संख्या ७२(प्रकाशित पुस्तक,ई-पुस्तक)है। आपके हिंदी लेख, बालकथा,कविता आदि नियमित रूप से अनेक पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते हैं। सक्रियता के चलते अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता में आपके लेख और कविता को ‘सर्वश्रेष्ठ रचना’ से सम्मानित किया गया है तो काव्य लेखन उपक्रम में भी अनेक रचनाओं को ‘सर्वश्रेष्ठ’ सन्मान प्राप्त हुआ है। आप कृष्ण कलम मंच के आजीवन सभासद हैं। हिंदी लेखन में सक्रिय अरुण जी की प्रकाशित पुस्तकों में-दूर क्षितिज तक(२०१६)प्रमुख है। इसके अलावा विश्व साझा काव्य संग्रह में २ हिंदी बाल कविता(२०२१) प्रकाशित है। शीघ्र ही ‘जीवन सरिता मेरी कविता'(१११ कविता,पहला हिंदी काव्य संग्रह)आने वाला है। फेसबुक पर भी कई हिंदी समूह में साहित्य सहभागिता जारी है।

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