श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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नित्य देखती हूँ राह तुम्हारी, कहो पिया तुम कब आओगे,
है व्याकुल हृदय मिलने को, कहो कब मुझे गले लगाओगे ?
ऐसे धड़कता है हृदय मानो, बादल गगन में गरजता है,
रोकने से रूकता नहीं, नैनन से जल बरसता है।
पिया कब आओगे, मधुर रात धीमी-धीमी गुजर रही है,
हर करवट, साँसों में मन तुम्हें इधर-उधर खोज रहा है।
न जाने किस बैरन की, खुशियों में काली नजर लग गई,
या भाग्य का लिखा था, दोनों को अलग डगर मिल गई।
प्रेम का भंडार पिया तुमने देकर, क्यों छीन लिया है,
रूप-रंग की शहजादी बना के, क्यों विधवा बना दिया है ?
बहुत याद आता है, तुम्हारा मधुर-मधुर मुस्कुराते रहना,
भले आँखों से तुम दूर गए, पर ख्वाबों में आते रहना।
तुझे पसन्द है फूल बेली का, सिरहाने सजा के रखूंगी,
मिलना ख्वाबों में पिया, मैं तुम्हारा इन्तज़ार करूँगी।
हे देवा मैं सौ बार जन्म लूँगी, या सौ बार मरण होगा,
अपने जीवन साथी के लिए ही ‘देवन्ती’, मन- कर्म-वचन होगा॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है