श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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यही सत्य है, मैं किसान का बेटा हूँ,
तभी तो मैं सर पर पगड़ी बांधा हूँ
कभी तो लोग मुझे कहते हैं गृहस्थ,
मेहनत करके, सदा रहता हूँ स्वस्थ।
सुबह-सवेरे हल बैल ले के जाता हूँ,
गोधूलि बेला में, वापस मैं आता हूँ
यही सत्य है, गाँव का रहने वाला हूँ,
मैं धान, गेहूँ, गन्ना, उपजाने वाला हूँ।
शहर में सब कहेंगे, किसान धन्य है,
उनके ही सौजन्य से, घरों में अन्न है
यदि हमारे किसान भाई नहीं होते,
तो हम शहर वाले भूख से ही मरते।
पिता, पितामह पर मैं, गर्व करता हूँ,
किसान का बेटा हूँ, तभी कहता हूँ
गाँव हमारा शहर से सुंदर प्यारा है,
शुद्ध वातावरण की बहती धारा है।
मैं किसान, गौ का पूजन करता हूँ,
सूर्योदय से पहले, दर्शन करता हूँ।
गौशाला में ही रहती हैं गौ माता,
मैं किसान हूँ, श्रम से नहीं घबराता॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है