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घर की शोभा नारी

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र
देवास (मध्यप्रदेश)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


मैंने अकेले रहते हुए,
घर में हर सुख सुविधा जुटाई।
लेकिन-
वो ख़ुशी कभी न पाई ,
जो माँ,बहिन,बेटी,बहू,भाभी के रहने से होती है।
सच पूछो तो घर कितना ही बड़ा हो,
पर घर की शोभा नारी ही होती है।
आलीशान महल बनाया,
सुख-सुविधा का हर साधन जुटाया।
नौकर-चाकर,गाड़ी,बंगला मुझे
वो ख़ुशी न दे पाया,
प्यारी बिटिया के खिलखिलाने से ही घर का आँगन मुस्कुराया।
तब से मेरे ज़ेहन में ये बात खड़ी होती है,
घर कितना ही बड़ा हो
घर की शोभा नारी ही होती है।
जब पत्नी कराती है,
प्यार से नाश्ता।
और माँ देती है घर से निकलते वक़्त,
धूप से बचने का वास्ता।
तो लगता है स्वर्ग की खुशियाँ,
मेरे घर में आई हैं।
और माँ के प्यार में ही संसार की सारी दौलत समाई है।
इसीलिए तो माँ के प्यार की चर्चा,
हर जगह होती है।
घर कितना ही बड़ा हो,
घर की शोभा नारी ही होती है।
ज़रूरी नहीं कि घर बड़ा हो या छोटा,
पर जिस घर में भाभी का प्यार,
माँ का दुलार
और बिटिया की किलकारी होती है,
उस घर में गऱीबी होते हुए भी
ख़ुशियाँ सारी होती हैं।
घर कितना ही बड़ा हो,
घर की शोभा नारी ही होती है॥

परिचय-सुरेन्द्र सिंह राजपूत का साहित्यिक उपनाम ‘हमसफ़र’ है। २६ सितम्बर १९६४ को सीहोर (मध्यप्रदेश) में आपका जन्म हुआ है। वर्तमान में मक्सी रोड देवास (मध्यप्रदेश) स्थित आवास नगर में स्थाई रूप से बसे हुए हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का रखते हैं। मध्यप्रदेश के वासी श्री राजपूत की शिक्षा-बी.कॉम. एवं तकनीकी शिक्षा(आई.टी.आई.) है।कार्यक्षेत्र-शासकीय नौकरी (उज्जैन) है। सामाजिक गतिविधि में देवास में कुछ संस्थाओं में पद का निर्वहन कर रहे हैं। आप राष्ट्र चिन्तन एवं देशहित में काव्य लेखन सहित महाविद्यालय में विद्यार्थियों को सद्कार्यों के लिए प्रेरित-उत्साहित करते हैं। लेखन विधा-व्यंग्य,गीत,लेख,मुक्तक तथा लघुकथा है। १० साझा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है तो अनेक रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में भी जारी है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अनेक साहित्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इसमें मुख्य-डॉ.कविता किरण सम्मान-२०१६, ‘आगमन’ सम्मान-२०१५,स्वतंत्र सम्मान-२०१७ और साहित्य सृजन सम्मान-२०१८( नेपाल)हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्य लेखन से प्राप्त अनेक सम्मान,आकाशवाणी इन्दौर पर रचना पाठ व न्यूज़ चैनल पर प्रसारित ‘कवि दरबार’ में प्रस्तुति है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और राष्ट्र की प्रगति यानि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं कवि गोपालदास ‘नीरज’ हैं। प्रेरणा पुंज-सर्वप्रथम माँ वीणा वादिनी की कृपा और डॉ.कविता किरण,शशिकान्त यादव सहित अनेक क़लमकार हैं। विशेषज्ञता-सरल,सहज राष्ट्र के लिए समर्पित और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिये जुनूनी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“माँ और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है,हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी और मातृभूमि भारत के लिए तन-मन-धन से सपर्पित रहना चाहिए।”

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