मंजरी वी. महाजन
हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश)
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मेघ, सावन और ईश्वर…
सावन का महीना, जब धरती महकती है,
नदियों में बहार है हरियाली चहकती है।
मेघ घेर लाते हैं आकाश का काजल,
बरसात की बूँदें जैसे मोती हों निर्मल।
सावन की रिमझिम बूँदों में छुपी इक कहानी,
गाँवों की गलियों में, हर दिल में है इक धुन पुरानी।
सावन की यह रागिनी जीवन में लाती नई उमंग,
धरा पर बिखेरती है प्रेम और खुशियों के रंग।
सावन की बातें, यादें हैं बहुत पुरानी,
दादी की कहानियाँ जिनमें थीं परियाँ और रानियाँ।
चाँदनी रात में रिमझिम की स्वर लहरियाँ,
सावन का यह मौसम दिल में भरता सतरंगियाँ।
खिड़की के बाहर मैं देखता हूँ नज़ारा,
धरती का श्रृंगार है जैसे कोई उपहार प्यारा।
मेघ घेर लाते हैं सुनहरी धूप को छुपा,
सावन का यह मौसम है सच्ची खुशियों की परिभाषा।
कभी तो मेघ देते हैं गहरा काला आकाश,
कभी गरजते हैं जैसे होती है कोई आस।
कभी गुस्सा, कभी प्यार बरसाते,
मेघ ही ईश्वर की सृष्टि को सजाते।
मेघ संग सावन लाता है सुख-चैन,
धरती की गोद में बूँदों की महक गहन।
ईश्वर की सृष्टि में हर इक बूँद का महत्व है,
प्रकृति के इस नाटक में छुपा उसका दिव्यत्व है॥
परिचय-मंजरी वी. महाजन का जन्म स्थान नादौन (जिला हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश) और जन्म तारीख ३० सितम्बर १९७४ है। वर्तमान में हमीरपुर में ही स्थाई निवास है। साहित्यिक नाम ‘मंजरी’ से आप जानी जाती हैं। भाषा ज्ञान देखें तो हिंदी भाषा में अत्यधिक रुचि होने के कारण इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहती हैं। वैसे विज्ञान विषयों के अध्ययन के कारण इस भाषा में कोई विशेष उपाधि नहीं है। आपकी पूर्ण शिक्षा-एम.एस-सी. (वनस्पति विज्ञान) व एम.फिल. है। कार्यक्षेत्र में लगभग २३ वर्ष तक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में ११-१२ वीं के विद्यार्थियों को जीव विज्ञान पढ़ाने के उपरांत अब रा.व.मा.पा. भलेठ (हमीरपुर) में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप पर्यावरणविद् होकर शाला और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यरत हैं। मुम्बई स्थित सहारा अशासकीय संगठन के साथ वंचित विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने का काम भी कर रही हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए लेख लिखकर पुरस्कार जीत चुकी हैं, साथ ही कई समाचार-पत्र में भी लेखन जारी है। प्रकाशन की दृष्टि से विज्ञान विषयों से संबंधित आपके लेख ‘द ऑर्किड सोसायटी ऑफ़ इंडिया’ की पत्रिका में प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य सच्चाई से ओत-प्रोत भावनाओं को लेखनी के माध्यम से व्यक्त करना और समाज कल्याण में कार्य करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद हैं। मंजरी वी. महाजन के जीवन का लक्ष्य अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना व मानव जाति के उत्थान के लिए कार्य करना है। इनके लिए इनके पिता जी ही प्रेरणापुंज, आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। उनके अनुसार ज्ञानवर्धन के लिए पढ़ने और लिखने की कोई उम्र या समय निर्धारित नहीं होता। देश और हिंदी के प्रति विचार- “हिंदी मात्र अभिव्यक्ति या संचार का ही माध्यम नहीं, यह एक विचारधारा है। भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान है। हमें इसके संरक्षण, संवर्धन और प्रोत्साहन में हर प्रयास करना चाहिए।”