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जब भी मैं आऊँ इस जहाँ में

अलका ‘सोनी’
पश्चिम वर्धमान(पश्चिम बंगाल)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

जब भी मैं आऊँ इस जहां में
तेरी ही सुखकर गोद पाऊँ,
हे माँ भारती
इतना वचन दे।

अगले जनम जो बिटिया बनूँ तो
भयहीन हो तेरी गलियों में घूमूँ,
हे माँ भारती
इतना वचन दे।

अगले जन्म गर मैं चिड़िया बनूँ तो
सोने का तन पा बागों में तेरी चहचहाऊँ,
हे माँ भारती
इतना वचन दे।

अगले जन्म अगर मैं बेटा बनूँ तो
तेरे गाँव की फिर धूल से नहाऊँ,
हे माँ भारती
इतना वचन दे।

अगले जनम जो मैं ना पाऊँ तो,
तेरे आँगन में बन ध्रुवतारा झिलमिलाऊँ।
हे माँ भारती,
इतना वचन दे॥

परिचयअलका ‘सोनी’ का जन्म २३ नवम्बर १९८६ को देवघर(झारखंड)में हुआ है। बर्नपुर(पश्चिम बंगाल)में आपका स्थाई निवास है। जिला-पश्चिम वर्धमान निवासी अलका ‘सोनी’ की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) व बी.एड. है। लेखन विधा-कविता,लघुकथा व आलेख आदि है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आपको अनेक मंचों द्वारा सम्मान-पुरस्कार दिए गए हैं। लेखनी का उद्देश्य-आत्मसंतुष्टि व समाज कल्याण है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेरणापुंज रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं ‘निराला’ हैं। इनका जीवन लक्ष्य-साहित्य में कुछ करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिंदी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है और आगे भी सकारात्मक बदलाव होंगे।’

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