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परिंदे अच्छे

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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सर्दी-गर्मी सब सहते हैं,
प्रकृति से खूब लड़ते हैं
अपने बच्चों की खातिर,
कुछ भी कर गुजरते हैं।

भोजन की तलाश में,
दूर-दूर तक चले जाते हैं
इंसानों से अच्छे होते हैं,
अपना फ़र्ज़ निभाते हैं।

जब लौट कर आते हैं,
खुशियाँ समेट लाते हैं
न घात न छल-कपट,
दिल के साफ होते हैं।

नहीं करते छीना-छपटी,
मिल-बांट कर खा लेते हैं
तिनका-तिनका चुनकर,
अपना घर बना लेते हैं।

भावों को महकाने में,
इंसानों से बढ़कर होते हैं।
घात-पाप कुछ नहीं होता,
‘परिंदे’ दिल के साफ होते हैं॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।