डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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जल ही कल…
धरती माँ तेरी गोद से लिपटे है,
पेड़-पौधे और वनों का जाल
जड़ें इनकी संजोती है पानी की हर बूंद बेमिसाल,
सिक्त माटी में फलते-फूलते ये वृक्ष विशाल।
न होते पेड़-न होता वन, और न मिलती ऑक्सीजन,
शुद्ध हवा न मिलने से खत्म हो जाता समस्त जीवन
वन है तो वर्षा है मीठे पानी का कर्ता है,
नदी-पोखरों में रहता है कुँए में भी जल भरता है।
मीठे जल से जीवन की आस और बुझाए सबकी प्यास,
महासागर भी जल से भरा, पर होता पानी सम्पूर्ण खारा
यह भी अपने गर्भ में करती कई जीवों का रक्षण,
करती है नि:स्वार्थ भाव से पर्यावरण का संरक्षण।
सूरज की गर्मी से अपने को तपाती है,
उसी की ऊष्मा और वाष्प से
घने बादल आकाश से,
वर्षा की बौछारें लाती है।
सागर की लहरों से हवाओं के रुख बदलते हैं,
इन्हीं हवाओं से मौसम रंग बदलते हैं
इस धरा पर सबने अपने कर्त्तव्य निभाया है,
पर क्यों मनुष्य को अब तक समझ नहीं आया है ?
वह अपने स्वार्थ के लिए करता पर्यावरण की हानि है,
काटे जा रहे पेड़ और वृक्ष, भूमि अब बिन पानी है
खेत-खलिहान सूख जाएंगे, तापमान भी दिनों-दिन बढ़ते जाएगा,
दूर नहीं वो दिन जब पानी की एक बूंद के लिए तरस जाएंगे।
जब होगा जल बिन जीवन बच न पाएंगे हमारे प्राण,
देर न करो साथियों इसी वक़्त लेते हैं ये प्रण
करेंगे हम मिल कर पर्यावरण का संरक्षण।
बरसात में कर लें वर्षा जल संचयन,
जल की हरेक बूँद का कर लें संकलन॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।