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जम्मू-कश्मीर की तकदीर और तस्वीर बदलेगी

ललित गर्ग
दिल्ली

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अपने फैसलों से सबको चैंकाने वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० को हटाने का फैसला लेकर एक बार फिर सबको चौंका दिया है। जिस साहस एवं दृढ़ता से उसने चुनाव जीतने के बाद १०० दिन के भीतर यह निर्णय लेने की बात कही,वैसा ही करके उसने जनता से किये वायदे को निभाया है। कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से जारी हलचल से यह तो अन्दाज लगाया जा रहा था कि कुछ अदभुत होने वाला है,लेकिन इतना बड़ा और ऐतिहासिक होने वाला है,इसका किसी को भान तक नहीं था,लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने एकसाथ चार प्रस्ताव लाकर सबको हैरान कर दिया। सभी राजनीतिक दलों को अपने स्वार्थों एवं राजनीतिक भेदों से ऊपर उठकर इस पहल का स्वागत और समर्थन करना चाहिए,क्योंकि इससे श्रेष्ठ भारत-एक भारत का सपना साकार होगा।
कश्मीर के एक वर्ग में खुद को देश से अलग और विशिष्ट मानने की जो मानसिकता पनपी है,उसकी एक बड़ी वजह यही अनुच्छेद ३७० है। यह अलगाववाद को पोषित करने के साथ ही कश्मीर के विकास में बाधक भी था। कश्मीर संबंधी अनुच्छेद ३५-ए भी निरा विभेदकारी एवं विघटनकारी है। इन दोनों अनुच्छेदों पर कोई ठोस फैसला लिया जाना जरूरी था। ये दोनों अनुच्छेद कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने और साथ ही वहां समुचित विकास करने में बाधक बने रहे। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता चाहे जितना शोर मचाएं, कश्मीरी जनता को यह पता होना चाहिए कि ये दोनों अनुच्छेद उनके लिए हितकारी साबित नहीं हुए हैं। यदि इन अनुच्छेदों से किसी का भला हुआ है तो चंद नेताओं का और यही कारण है कि वे इस ऐतिहासिक फैसले का विरोध कर रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्रदान करने वाली संविधान की अनुच्छेद ३७० को हटाने का समर्थन किया। हालांकि,कांग्रेस और तमिलनाडु की एमडीएमके ने इसका कड़ा विरोध किया,लेकिन आम जनता में इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर खुशी का माहौल है। सरकार के साहसपूर्ण कदम से न केवल जम्मू-कश्मीर में अमन एवं शांति कायम होगी,बल्कि विकास की नई दिशाएं उद्घाटित होगी। इससे भारत की एकता और अखण्डता को बल मिलेगा। इससे जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के विकास को बल मिलेगा। समझना तो यह कठिन है कि राज्य में सुरक्षा मोर्चे को मजबूत किए जाने से कश्मीरी नेता परेशान क्यों हैं ?
आजादी के समय से कतिपय गलत राजनीतिक निर्णय से यह प्रान्त तनावग्रस्त,संकटग्रस्त रहा। जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० को खत्म करने की मांग लगातार उठती रही,लेकिन प्रान्त के स्वार्थी राजनीतिक दलों ने इस मांग को लगातार नजरअंदाज किया,पर अब इस फैसले से जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा नहीं होगा। पहले वहां सरकारी दफ्तरों में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता था। अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश होगा।
यहाँ पहले अस्थायी निवासी से शादी करने पर महिलाओं को तो संपत्ति में अधिकार दिया जाता था,लेकिन इस तरह महिलाओं के बच्चे संपत्ति के अधिकार से वंचित हो जाते थे। अब ३७० को खत्म करने के फैसले के बाद अब ये सारी पाबंदियां खत्म हो गई हैं। अब समय आ गया है कि कश्मीरी जनता की तकदीर और कश्मीर की तस्वीर बदल बदल जायेगी। अनुच्छेद ३७० एक विभीषिका थी,एक त्रासदी एवं विडम्बना थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्र के एक अभिन्न अंग कश्मीर का २.५ हिस्सा जानबूझ कर पाकिस्तान की गोदी में डाल दिया और शेष कश्मीर में ऐसे-ऐसे दुष्कृत्य हुए कि वह कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता था,वह नरक में तब्दील हो गया। यह एक साजिश थी और साजिश के सूत्रधार थे शेख अब्दुल्ला। तब से अब तक वे और उनका परिवार ही कश्मीर को अपनी बपौती समझते आये। इन्हीं लोगों ने अपनी स्वार्थों के चलते इस स्वर्ग को नरक बना दिया। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर सरकार बनाई तो महबूबा अपना खेल खेलती रहीं। पत्थरबाज अपनी जांबाजी दिखाते रहे और सरकार उन पर दरियादिली दिखाती रही। इन जटिल एवं जहरीले हालातों से मुक्ति के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने साहसिक निर्णय लिया है,उससे समूचा देश दीवावली मना रहा है। केवल खुशियां मनाने से काम नहीं चलेगा,अब समूचे राष्ट्र को कश्मीर को बचाने की संकल्पबद्ध होना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने जनभावनाओं को समझते हुए नया इतिहास तो रच दिया,पर अब उसे जीवंतता प्रदान करना समूचे देश का दायित्व है।

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