कुल पृष्ठ दर्शन : 501

घूंघट लतिका खोल रही

छगन लाल गर्ग “विज्ञ”
आबू रोड (राजस्थान)
****************************************************************************
मधुमय मुग्धा अब देख रही।
लो घूंघट लतिका खोल रही॥

नव भ्रमर कंठ संगीत भरा,
कोलाहल कलरव नेह धरा।
अवगुंठन रस से प्राण घिरा,
मृदु मुग्ध कली में प्रेम गिरा।

अविरल निर्झरिणी नेह यही,
लो घूंघट लतिका खोल रही॥

मधु नृत्य मगन मधुमास अहा,
नव गंध भरा पवमान बहा।
सौरभ नव चेतन रूप महा,
नैनों में मादक मोह ढहा।

हँसते फूलों की लहर बही,
लो घूंघट लतिका खोल रही॥

शिशु चंचल मन खेल रहा,
मतवारी नैना नेह बहा।
टेढ़ी चितवन उन्माद ढहा,
रस अणुओं को विश्राम कहाँ।

भरा मनोहर मकरंद कही,
लो घूंघट लतिका खोल रही॥

परिचय–छगनलाल गर्ग का साहित्यिक उपनाम `विज्ञ` हैl १३ अप्रैल १९५४ को गाँव-जीरावल(सिरोही,राजस्थान)में जन्मे होकर वर्तमान में राजस्थान स्थित आबू रोड पर रहते हैं, जबकि स्थाई पता-गाँव-जीरावल हैl आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती का हैl स्नातकोत्तर तक शिक्षित श्री गर्ग का कार्यक्षेत्र-प्रधानाचार्य(राजस्थान) का रहा हैl सामाजिक गतिविधि में आप दलित बालिका शिक्षा के लिए कार्यरत हैंl इनकी लेखन विधा-छंद,कहानी,कविता,लेख हैl काव्य संग्रह-मदांध मन,रंजन रस,क्षणबोध और तथाता (छंद काव्य संग्रह) सहित लगभग २० प्रकाशित हैं,तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl बात करें प्राप्त सम्मान -पुरस्कार की तो-काव्य रत्न सम्मान,हिंदी रत्न सम्मान,विद्या वाचस्पति(मानद उपाधि) व राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्य संस्थानों से १०० से अधिक सम्मान मिले हैंl ब्लॉग पर भी आप लिखते हैंl विशेष उपलब्धि-साहित्यिक सम्मान ही हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रसार-प्रचार करना,नई पीढ़ी में शास्त्रीय छंदों में अभिरुचि उत्पन्न करना,आलेखों व कथाओं के माध्यम से सामयिक परिस्थितियों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद व कवि जयशंकर प्रसाद हैंl छगनलाल गर्ग `विज्ञ` के लिए प्रेरणा पुंज- प्राध्यापक मथुरेशनंदन कुलश्रेष्ठ(सिरोही,राजस्थान)हैl

Leave a Reply