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जलसंकट

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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गर्मी क्या आईं,
जलसंकट गहराया
जन-जन तक,
विकट समस्या पहुंचाई
क्यों और कैसे,
यह समस्या है उठने लगी है यहां ?
परीक्षण और जांच जरूरी है यहां।

मजबूती से पकड़ बनाने,
के लिए यहां श्रम जरूरी है
जलसंकट में,
समस्त जनमानस की
दिखती मजबूरी है।

यह कथित आधुनिक,
विकास की देन है
मुश्किल सफर में,
खूब कर रही बेचैन है।

जल-जंगल-जमीन,
तो हमारी शान है
नदियां,तालाब और कुएं,
हम सबके प्राकृतिक वरदान है।

इसकी वजह है कि हम सब,
सुरक्षित हैं यहां
जल मानव रूपी,
इन संसाधनों की रक्षा करनी होगी
अब हमें यहां।

जल संरक्षण संवर्धन पर,
गम्भीरता से विचार हो
जल की बरबादी न हो सके,
सख्त उपचार हो।

जल ही जीवन है,
हरियाली और रास्ता भी यहां
संरक्षण संवर्धन पर अब यहां,
खूब मजबूती से करना होगा विचार यहां।

जल है तो जीवन,
पर बात बनेगी
जल शून्य जीवन,
जिंदगी नहीं कभी सुरक्षित रह सकेगी।

आओ हम-सब मिलकर,
एक नई इबारत लिखने में लगें यहां।
जल संरक्षण पर गम्भीरता से,
प्रयास में हाथ बंटाने में लग जाएं अब यहां॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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