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जल अस्तित्व

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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जल ही कल…..

जल है मानव संरचना का उपयोगी तत्व,
जल ही है हमारे समस्त जीवन का सत्व।

जल से आरंभ होता हर प्राणी का जन-जीवन,
और अंत आने पर सम्पूर्ण पृथ्वी हो जाती जलमग्न।

जल रहता सीमा में तो कहलाता नदी, तालाब,
गर होता सीमा से बाहर तो आता तूफ़ान, सैलाब।

इसे ना रोका जा सकता है, ना बांधा जा सकता है,
अपनी ही मन मस्त लहर, रफ़्तार में बहता है।

जल अस्तित्व है संसार के हर जीव का,
यही है सहारा वन्य जीव, दरिया, समुद्र का॥

परिचयतृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।

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