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जिंदगी और लहू

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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लहू बनाम ज़िन्दगी…..

एक गुफ्तगू हो रही है यहां,
ज़िन्दगी और लहू के बीच आज़ यहां
दोनों के अपने अपने जज्बात हैं,
मुश्किल वक्त में तन्हा रहने की
तकलीफ़ और बहुत सारी बात है,
ज़िन्दगी आज़ कह रही है लहू से यहां,
सब कुछ लेकर क्यों नहीं कुछ दिया।

आज़ अपने हाथों की लकीरें देखकर,
ज़िन्दगी फरियाद कर रही है
लकीरें छोड़कर क्या तुमने मुझे है कुछ दिया!
मुश्किल वक्त और हालात को अब तो पहचान,
मेरी ज़िन्दगी के अरमानों पर तो दे ध्यान।

लहू के बीच एक जज़्बाती खुशबू तो,
कभी-कभी भी तो बिखेर
हालातों से जुझते रहने में,
अपनी इश्क की शक्ति कर यहां ढ़ेर।

मजबूती से जिंदगी में,
खुशियाँ बिखेरने में बन एक सहारा
ज़िन्दगी सुनसान न हो जाए-शामिल हो,
मत बना मुझे अब और बेचारा।

आज़ की गुफ्तगू ज़िन्दगी और लहू के बीच की,
सबसे बड़ी एक शिद्दत से की गई फरियाद है।
ज़िन्दगी की लहू से और लहू की,
जिंदगी से यहां हो रहा संवाद है॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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