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विमोचन का एक मंच था

फिजी यात्रा:विश्व हिंदी सम्मेलन…

भाग-८

१२वें ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ में भारत से गए साहित्यकारों में अपनी पुस्तकों का विमोचन कराने का भी उत्साह देखने लायक था। पृथक से जहां मीडिया कक्ष की व्यवस्था थी, वहीं पुस्तकों के विमोचन का एक मंच बना हुआ था। मुझे भी २ सत्रों में अलग-अलग समय पर अनेक साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन और लोकार्पण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन सत्रों में अशोक ज्योति जी के साथ डॉ. नीलम राठी और माला मिश्रा दीदी की विशेष उपस्थिति सत्रों को गरिमा प्रदान कर रही थी।

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