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जीवन में सफलता का मन्त्र है सकारात्मक सोच

राज कुमार चंद्रा ‘राज’
जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)

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आमतौर पर लोग ये कहते हैं कि “हमने तो पूरी कोशिश कि,पर काम नहीं हुआ”,दरअसल अगर आप पूरी कोशिश करेंगे तो आप असफल होंगे ही नहीं। सपने हर कोई देखता है पर पूरा हर कोई नहीं कर पाता…जानते हैं क्यों ? क्योंकि कुछ लोग बस देखते हैं,सोचते हैं और जरा-सी विषम परिस्थितियां आ गई तो उनके सपने उन्हीं की तरह टूट जाते हैं। अगर आपको अपने सपनों को वाकई में पूरा करना है,तो आपको हर पल उसे ही सोचना होगा और उसे पाने के लिये हर प्रयास करना होगा। किसी ने कहा है कि-“एक सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अदृश्य को देख लेता है,अमूर्त को महसूस करता है,और असंभव को पा लेता है। सोचने के बजाय कि आप क्या खो रहे हैं,ये सोचने का प्रयास करें कि आपके पास ऐसा क्या है, जो बाकी सभी लोग खो रहे हैं,क्योंकि एक बार जब आप नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदल देंगे तो आपको सकारात्मक नतीजे मिलना शुरू हो जाएंगे।”
सकारात्मक सोच को अगर वास्तु से जोड़ कर देखें तो इसका सीधा तात्पर्य सकारात्मक ऊर्जा से है। वास्तु के मुताबिक जिस घर में ज्यादा प्राकृतिक रौशनी आती है,कोने साफ-सुथरे रहते हैं,घर के दरवाजे पर कोई गंदगी नहीं होती,शयनकक्ष चमकता रहता है,पढ़ाई का कमरा ज्यादा प्रकाश वाला होता है और शौचालय मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होता, वहां सकारात्मक ऊर्जा वास करती है,यानी सकारात्मक ऊर्जा उस घर में सदैव बनी रहती है। ऐसे घरों में लोग खुश रहते हैं और जल्दी बीमार नहीं पड़ते। साथ में ढेर सारी लक्ष्मी आती है। इसी प्रकार जिस मस्तिष्क में सकारात्मक सोच भरी होती है,जो लोग हमेशा सकारात्मक दृष्टि से सोचते हैं,उनका दिमाग हमेशा खुला रहता है और वे ज्यादा खुश रहते हैं। खुश रहने की वजह से उनके अंदर आंतरिक शांति बनी रहती है। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति सदा मुसीबतों में भी मंजिल के लिये रास्ता खोजने में सामर्थ्यवान होता है।

परिचय-राज कुमार चंद्रा का साहित्यिक नाम ‘राज’ है। १ जुलाई १९८४ को गाँव काशीगढ़( जिला जांजगीर ) में जन्में हैं। आपका स्थाई पता-ग्राम और पोस्ट जैजैपुर,जिला जान्जगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चंद्रा की शिक्षा-एम.ए.(राजनीति शास्त्र) और डिप्लोमा(इन विद्युत एवं कम्प्यूटर)है। कार्यक्षेत्र- लेखन,व्यवसाय और कृषि है। सामाजिक गतिविधि में सामाजिक कार्य में सक्रिय तथा रक्तदाता संस्था में संरक्षक हैं। राजनीति में रुचि रखने वाले राज कुमार चंद्रा की लेखन विधा-आलेख हैं। कई समाचार पत्रों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जनजागरुकता है। आपके पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद और प्रेरणापुंज-स्वामी विवेकानंद तथा अटल जी हैं। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“भारत महान देश है। यहाँ की संस्कृति और परम्परा महान है,जो लोगों को अपनी ओर खींचती है। हिन्दी भाषा सबसे श्रेष्ठ है,ये जितनी उन्नति करेगी,देश उतना ही उन्नति करेगा।

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