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मैं मन हूँ

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
रोहतक (हरियाणा)
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मैं मन हूँ विचारों का-भावों का,

परिचायक हूँ खुशी का घावों का

इच्छा,जीवन गति का जनक हूँ,

मैं ही शांति हूँ-में ही भटक हूँ।

मैं ही चेतन हूँ-अविनाशी हूँ,

सब प्राणियों में मैं सर्वव्यापी हूँ

मैं शाश्वत हूँ-न सोता-जागता हूँ,

बस चलना मेरा काम-भागता हूँ।

जो मुझे जान लेता वह विद्वान है,

वह मनीषी है-सर्वज्ञ है महान है

सुखों से भरपूर वह दुविधा दूर है,

मन मालिक हर चीज से पूर है।

एक मैं ही इंद्रियों का स्वामी हूँ,

एक जगह रहकर दूरगामी हूँ

मैं आत्मा का अभिन्न अंग हूँ,

निरंग संसार का मैं ही रंग हूँ।

मेरे जीतने से जगजीत है मानव,

मेरी हार से होता आहत है मानव

जिससे प्रीत हर जन्म साथ रहता,

पूरा होता मैं दृढ़ता से कहता।

मानव मन सुखी जीवन सुखी,

मन को मारकर मानव दुखी है

कुछ पल मन हेतु निकालिए,

मन की मान खुद को संभालिए।

मन को दिल भी कहे सकते हो,

मन की मान सुखी रह सकते हो॥

परिचय–डॉ.चंद्रदत्त शर्मा का साहित्यिक नाम `चंद्रकवि` हैl जन्मतारीख २२ अप्रैल १९७३ हैl आपकी शिक्षा-एम.फिल. तथा पी.एच.डी.(हिंदी) हैl इनका व्यवसाय यानी कार्य क्षेत्र हिंदी प्राध्यापक का हैl स्थाई पता-गांव ब्राह्मणवास जिला रोहतक (हरियाणा) हैl डॉ.शर्मा की रचनाएं यू-ट्यूब पर भी हैं तो १० पुस्तक प्रकाशन आपके नाम हैl कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई हैंl आप रोहतक सहित अन्य में भी करीब २० साहित्यिक मंचों से जुड़े हुए हैंl इनको २३ प्रमुख पुरस्कार मिले हैं,जिसमें प्रज्ञा सम्मान,श्रीराम कृष्ण कला संगम, साहित्य सोम,सहित्य मित्र,सहित्यश्री,समाज सारथी राष्ट्रीय स्तर सम्मान और लघुकथा अनुसन्धान पुरस्कार आदि हैl आप ९ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हो चुके हैं। हिसार दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण हो चुका है तो आपने ६० साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। इसके अलावा १० बार रक्तदान कर चुके हैं।

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