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झिलमिल आई दिवाली

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

झिलमिल-झिलमिल आई दिवाली,
खुशियों की सौगातें लाई।
जब-जब दिवाली आती,
मन के दीपक जल उठते।
स्नेह युक्त दीपक बाती में,
दिल से दिल घुलमिल जुड़ते।
झूठी चमक-दमक में दबकर,
दमदम जी दम फूल रहा है।
तेल बिना सूखी है बाती,
जीवन पल-पल झूल रहा है।
क्या मालूम कब कौन बुझेगा,
बहकी-बहकी बयार चल रही।
दीपक दृष्टि दिशाविहीन है,
कैसे दीप जलेगा मन का।
वातावरण विषाक्त है,
चहुदिश कंपित दीपक है जनमन का।
हालातों पर गौर करो अब,
कैसे जन का दीप जले फिर।
दानवता का दमन करों अब,
मानवता दिनमान फले फिर।
घर समाज देश हित सारे,
दीपों की रौनक मढ़ जाए।
राजी हो लक्ष्मी मने गणेश,
पूजन से पूरण हो काज।
दीपों की आभा से निखरें,
तन मन धन तीनों के साथ।
खुशियों के हम दीप जलाएं,
हिलमिल कर दिवाली मनाएं॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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