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झूम रहा है संसार

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )…

कोई बोले फ़ागुया,तो कोई बोले होली-
जो भी हो-त्योहार,आप हो निराली!
न जाने क्या माया जानती हो आप ऐसे-
सबको गायक बना देती हो ख़ुशी से!

हुल्लड़ का स्रोत आता है कहां से,आप जानें-
दबंग कहां रखती हो आप छिपाकर,कौन जाने!
प्रकृति में इतना रंग आता है कहां से-मालूम नहीं,
हृदय भी रंगीन कर देता है करिश्मा आपका!

उम्र की बाधाएं लांघ जाता हूँ कैसे,मालूम नहीं-
जात-पात की सीमा भूलता हूँ कैसे,मालूम नहीं!
भुलाकर तनाव जीवन के,सारी बीमारी-
झूम रहा है संसार,मौज-मस्ती जारी!

जीवन तो एक रंगीन पटल,सात रंगों से भरा-
कभी हरा तो कभी पीला,कभी लाल तो गुलाबी।
प्रकृति भी रंगती है रंगीन रंगों के अनुसार-
फिर भी होली के रंग का,सब करते हैं इंतजार।

मन कहता है-आओ सब मिलकर फ़ाग गाएंगे-
मन की मिठास घोलकर मीठा खाएंगे,
हम दुश्मनी भूलकर सब गले मिलेंगे-
नाच-गाकर हम सब होली मनाएंगे॥

परिचय-डॉ. गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। २ जून १९५४ को कोलकाता में जन्मे एवं स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत डॉ. मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्ण शिक्षित होकर कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाज सेवा है तथा सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान, सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातिय कवि परिषद (ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। डॉ. मुखर्जी की समाजसेवा और उपलब्धि देखें तो २००४ में राजकिशोर नगर समन्वय समिति के नाम से संस्था स्थापित कर आज तक निर्विरोध अध्यक्ष रहते हुए कई उल्लेखनीय कार्य किए,जिसमें शा.मा.विद्यालय,शा.प्रा. स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र, होम्योपैथिक चिकित्सा केंद्र और ग्रन्थागार आदि की स्थापना है। इस सेवा के निमित्त आपको छत्तीसगढ़ साहित्य दर्पण से ‘साहित्य श्री’ सम्मान मिला,साथ ही जातिय कवि परिषद (ढाका) में उपदेष्टा पद एवं भारत के प्रतिनिधि नियुक्त हुए,तो जातिय साहित्य चर्चा परिषद (बांग्लादेश) और स्वप्नचुड़ा साहित्य प्रभा(बांग्लादेश)में प्रधान उपदेष्टा पद पर मनोनीत हुए। हिंदीभाषा डॉट काम द्वारा आयोजित काव्य लेखन (स्पर्धा) व गद्य विधा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया है। छत्तीसगढ़ शासन से गणतंत्र दिवस पर प्रशस्ति-पत्र सहित राष्ट्रीय व्यापार मेले में ‘छत्तीसगढ़ रत्न’,लेखन व समाजसेवा के एवज में ‘इंडियाज़ राईजिंग स्टार अवार्ड २०१९’, ‘साहित्य रत्न’ व ‘साहित्य बन्धु’,बंगबन्धु साहित्य सम्मेलन में ‘बंगबंधु सम्मान’,राष्ट्र प्रेरणा अवॉर्ड २०२० व ग्लोबल शांति सम्मान २०२१ (काश्मीर) प्राप्त हुआ तो सामाजिक सेवा के लिए कनाडा से मानद पी-एच.डी. का सम्मान भी दिया गया। गणतंत्र दिवस पर ‘बेस्ट सिटीजन ऑफ इंडिया २०२२’ (दिल्ली)से भी आप सम्मानित हुए हैं। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं अन्य सम्मान मिल चुके हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले डॉ. मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी एक बेहद सहज बोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है,जिसे सम्मान देना और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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