शशि दीपक कपूर
मुंबई (महाराष्ट्र)
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गणतंत्र दिवस : देश और युवा सोच…
भारत आज युवावस्था में है, यह एक सुदृढ़ व्यवस्था के साथ स्वर्णिम युग का आरंभ भी कहा जा सकता है। कहने को भारत की उम्र स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात पचहत्तर वर्ष में पदार्पण कर चुकी है, लेकिन जनसंख्या गणना की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक युवाओं का देश है।
सन् १९४७ की विभाजनजनित परिस्थितियों के समय देश बेहद ही बड़ी त्रासदी झेलते हुए उभरने की चेष्टा में लगा हुआ था। उस समय प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने देश को तीव्रता से दुखदायक स्थितियां भूलाने के लिए नारा दिया ‘आराम हराम है’, जिसका अनुपालन करते हुए देश के समस्त नागरिक अपने-अपने स्तर पर अपने-अपने क्षैत्र में उत्थान के लिए संघर्षरत रहे और दुःख पर विजय भी हासिल हुई। आद्यौगिक क्रांति के दौर के साथ फ्रांस से चली हवा मजदूर अधिकार लहर भी हड़तालों के माध्यम से बखूबी चली। इस दौर में भी बड़े-बड़े उद्योग देश की शान में अडिग पर्वत श्रृंखला से तटस्थ और प्रगतिशील देश बनाने में अग्रही रहे।
कालांतर में राष्ट्र निर्माण ने गाँवों को कस्बों, शहरों में परिवर्तित करना भी आरंभ कर दिया। उन्नत उद्योगों ने देश को शक्कर, कागज, स्टील और बहुत से खनिज पदार्थों के अन्वेषण व विद्युतीकरण ने देश के विकास की कहानी स्थापित की। इसको और सक्षम बनाने के लिए लगभग समस्त मंत्रालयों द्वारा अनगिनत योजनाओं को संचालित भी किया गया। यह भी सच है कि, उस समय जनसंख्या गणना में युवाओं की संख्या कम थी, लेकिन देश की सुरक्षा के साथ-साथ विस्थापित जनता को रोजगार मुहैया करवाना भी एक महत्वपूर्ण कदम रहा। और कुछ विकासोन्मुखी योजनाएं राज्यों के बीच आपसी तालमेल न होने के कारण या कहीं-कहीं पर जाति-धर्म और अत्यधिक अशिक्षित जनता होने की वजह से विवादों की भेंट अवश्य चढ़ गई।
तत्पश्चात, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देश-विदेश के विस्तृत औद्योगिकीकरण के द्वार खुले। आयात-निर्यात व्यापार नीतियों ने बड़े उद्योगपतियों को सुनहरा अवसर प्रदान किया। व्यापार बढ़ाने के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण व ग्रामीण विकास हेतु नये बैंकों की स्थापना की गई, साथ ही हरित क्रांति व भूदान जैसी भू-स्तरीय योजनाओं द्वारा नवीन तथ्य को स्वीकार कर सुधार व प्रगति पर विशेष ध्यान दिया गया।
तदनन्तर दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह भी रहा कि देश विकास में अनेक कारणों से चंद लोगों के हाथों की कठपुतली भी बना रहा। लघु उद्योग मृतावस्था की नैया पर पड़े-पड़े दिन गिनने लगे। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि, आज का भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच व दृढ़संकल्प की छत्र-छाया में अपने विकास पथ पर त्वरित चहुंमुखी प्रगति कर रहा है। प्रत्येक राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में विकास योजनाओं का शिलान्यास व समय पर पूर्ण तैयार होना, अपने-आपमें अकल्पनीय है। युवाओं में स्टार्ट-अप योजना के अंतर्गत सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। युवा वर्ग शिक्षा से लेकर प्रत्येक क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर अपनी साझेदारी देश को दे रहा है। आज का युवा सरकार पर निर्भर न रहकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण नए-नए अन्वेषण और अत्यंत परिश्रम से कर रहा है। और सरकारी योजनाओं का लाभ हर जाति धर्म के मध्यम व निम्न वर्ग को मिल रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, भारतीय युवाओं में कुछ कर गुजरने का जोश, किसी भारतीय सैनिक से कम नहीं है। नि:संदेह आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार और आधुनिक उपकरण जैसी अनेक सुविधाएं उपलब्ध होने की वजह से स्वर्णिम युग की ओर जुगनू-सी चमक का शुभारंभ हुआ है। जहां परिस्थितिवश संपूर्ण विश्व एक ओर ‘कोविड’ से त्रस्त होकर मंदी की तरफ झुका, वहां भारतीय नवयुवकों ने अपनी सक्षम ऊर्जा से देश के हर क्षेत्र में अपना डंका मनवाया है। सफलताओं की इस सीढ़ी का श्रेय वर्तमान सरकार की लाभप्रद योजनाएं और आत्मविश्वास से भरी प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता ही है। मूलभूत आवश्यकताएं और सुविधाएं दोनों के मिलन का दूरगामी परिणाम अब देख दुनिया भी अचंभित होती है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, शिक्षा, पर्यटन आदि से अप्रत्याशित सरकारी आय में वृद्धि हुई है। यदि इसी मेहनत व विश्वास से नवयुवक अपना अहम् योगदान देश को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से देते रहे तो समकालीन प्रधानमंत्री का सही कथन होगा, “भारत न रुकने वाला है और न जाने वाला है।”
भाग्यशाली युवा भारत यही कामना करता है-
‘भावी पीढ़ी के सरताज नव-निर्माण रहे,
प्रधानमंत्री मार्गदर्शन सदैव साथ रहे।’