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तिनका हूँ

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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मैं तिनका हूँ!
हाँ,मैं तिनका हूँ,
चिड़िया का घर हूँ
चूजों का बिस्तर हूँ,
मुझे अपनाया,मैं उनका हूँ।
मैं तिनका हूँ…

हवा से है दोस्ताना,
मत रौंदना पैरों से
धूल समझकर गैरों से,
जा हाल पूछ लेना जरा
गया आँखों में जिनकी हूँ।
मैं तिनका हूँ…

मत डराओ आग लेकर,
बन राख मैं उड़ता रहूंगा
गिरता रहूंगा,झड़ता रहूंगा,
तुच्छ की अहमियत क्या
साथ मैं रात-दिन का हूँ।
मैं तिनका हूँ…

तुच्छ की बिसात क्या ?
अपना नहीं कहता कोई,
चुभता हर को जैसे ‘सुई’
इसका नहीं उसका नहीं,
बताओ तुम ही मैं किनका हूँ..!
मैं तिनका हूँ…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

 

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