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तू आगे बढ़

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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उम्मीद के दामन को थामे,
तू ज़िंदगी की जंग लड रही है
तू सुंदर है, कोमल भी पर तू शक्ति स्वरूपा,
झुकना तेरे बस में नहीं, बस तू आगे बढ़।

ममता का दुलार,
स्नेह का यह बंधन
जिससे रिश्ते मजबूत होते हैं मन के,
झुकना तेरे बस में नहीं, बस तू आगे बढ़।

संघर्षों की राह पर रास्ता निकाल कर,
अपने लिए मंजिल की तलाश कर
नयी राहें अपने-आप मिल जाएंगी,
झुकना तेरे बस में नहीं, बस तू आगे बढ़॥