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दिल बेचारा

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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कभी रुकती नहीं
मनमानियाँ,
मासूम दिल की
ये नादानियाँ।
मिला नहीं बुढापा
या जवानियाँ,
रहा सच्चा बच्चा
बेजुबानियाँ।
शोर में दफनाता
क्यू वीरानियाँ,
अनकही छिपी-सी
है नूरानियाँ।
छुईमुई-सी दबी
ये शैतानियाँ,
सुनना या बोलना
भी बेमानियाँ।
मन के पहरे में
दिल दानियाँ,
डपट खाता फिर
दिल जानियाँ।
आँखो में लबालब,
लिए पनियाँ।
होती न रुमानियाँ,,
झूठी है कहानियाँ॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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