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दीप का कथन

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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दीप का है कहना-
कुम्भकार ने काया को सजाया,
विश्व बाजार में बिकी काया
सौदागर ने दाम लगाया,
झट-पट थैले में ले आया।

पुरातन समय मेरा था,
घी बाती मैं पाता था
करता था मैं रोज उजाला,
भौतिकवाद का युग आया
मानव ने मुझे क्यों भुलाया,
दीपावली पर घर लाया,
तेल-बाती से रिझाया।

जल-जल काली काया,
फिर भी मैं समझ ना पाया
मेरे तले क्यों है अंधेरा!
परछाई ने बतलाया
त्याग का पाठ पढ़ाया,
रवि बिन मैं प्रकाश करता
सदभावना स्वर गूँजता।

दीपावली दीपों का त्योहार,
प्रेम भाई में है अपार
राम भरत का हुआ मिलन,
ममता ने किया आलिंगन
प्रजावासी हैं प्रफुल्लित,
राजा राम आए अवध की ओर।

राजा राम का है कहना-
जो प्राणी चाहे मुझे पाना
शंकर भजन जो जाने प्राणी,
तब ही मम भक्त सोहि
आओ सदगुरू चरणों में,
शीश झुकाएं,आत्मा राम जगाए
दीए सम सदभावना प्रकाश फैलाएं।

प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाएँ,
बम पटाखे छोड़ पेड़ खूब लगाएँ
हर घर में दीप जले,उजाला चहूँओर,
मधुर वचनों की बाँट मिठाई
मन की स्वच्छता लाएँ।
सत्य अहिंसा शांति की,
दीपावली मनाएँ॥

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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