कुल पृष्ठ दर्शन : 7

You are currently viewing धर्म-संरक्षक देव

धर्म-संरक्षक देव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

परशुराम जयंती (३० अप्रैल) विशेष…

विष्णुदेव के दिव्यतम, थे छठवें अवतार।
परशुराम जी को नमन्, रचा धर्म का सार॥

मातु रेणुका लाल थे, जमदग्नि मुनि के ताप।
संहारा नित पाप को, हरा सकल अभिशाप॥

भग्न हुआ शिव का धनुष, परशुराम जी क्लांत।
पर प्रभु रघुवर का विनय, देव हुए तब शांत॥

मार अधर्मी यह धरा, कर दी थी निष्पाप।
परशुराम के तेज को, कौन सकेगा माप॥

अंधकार में कर दिया, जिसने तो उजियार।
परशुराम जी की सदा, बोलो सब जयकार॥

अमर चिरंजीवी बने, शौर्य,दिव्यता मान।
संतों के रक्षक सदा, हर द्विज के अरमान॥

परशुराम जी की कथा, लगती मंगल गान।
सदा सनातन के लिए, भाव भरे अरमान॥

परशुराम जी ने किया, नित अधर्म-संहार।
किया सदा संस्कार को, मुनिवर ने अति प्यार॥

शिव के धनु से था बहुत, जिसको तो अनुराग।
शिव श्रद्धामय नित रहे, भाव रहे नित जाग॥

आज जयंती हर्षमय, मंगलमय है काल।
दिवस बहुत शुभ लग रहा, सबको करे निहाल॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।