कुल पृष्ठ दर्शन : 511

You are currently viewing नए वर्ष में उगाएं संकल्प के पौधे

नए वर्ष में उगाएं संकल्प के पौधे

ललित गर्ग
दिल्ली
**************************************

नया उजाला-नए सपने…

नए भारत एवं सशक्त भारत को निर्मित करने के संकल्प के साथ नए वर्ष का स्वागत करें। हम इस सोच और संकल्प के साथ नए वर्ष में प्रवेश करें कि हमें कुछ नया करना है, नया बनना है, नए पदचिह्न स्थापित करने हैं। बीते वर्ष की कमियों पर नजर रखते हुए उन्हें दोहराने की भूल न करने का संकल्प लेना है। दूसरे के अस्तित्व को स्वीकारना, सबके साथ रहने की योग्यता एवं दूसरे के विचार सुनना- यही शांतिप्रिय एवं सभ्य समाज रचना का आधार सूत्र है। इसी सूत्र को नए वर्ष का संकल्प सूत्र बनाना होगा। आज सब अपनी समझ को अंतिम सत्य मानते हैं, और बस यहीं से मान्यताओं की लड़ाई शुरू हो जाती है। कोई वेद, बाईबल, कुरान, ग्रंथ या सूत्र ये पाठ नहीं पढ़ाते। ३ हजार वर्षों में ५ हजार लड़ाई लड़ी जा चुकी हैं।
नया वर्ष नया संदेश, नया संबोध, नया सवाल, नया लक्ष्य लेकर उपस्थित हो पर जीवन की भी कैसी विडम्बना! हर वर्ष एक दिन के लिए ही हम स्वयं को स्वयं द्वारा जानने की कोशिश इस संकल्प के साथ करते हैं कि, ऐसा हम ३६५ दिन करेंगे, लेकिन वर्ष की दूसरी तारीख ही हमें अपने संकल्प, अपनी शपथ से भटका देती है। नए वर्ष को सचमुच सफल और सार्थक बनाने के लिए हमें कुछ जीवन-मंत्र धारण करने होंगे। यूँ तो हमारे धर्म-ग्रंथ जीवन-मंत्रों से भरे पड़े हैं। प्रत्येक मंत्र दिशा-दर्शक है। उसे पढ़कर ऐसा अनुभव होता है, मानो जीवन का राज-मार्ग प्रशस्त हो गया। उस मार्ग पर चलना कठिन होता है, पर जो चलते हैं वे बड़े मधुर फल पाते हैं। आँखें खोल दो, अर्थात अपने विवेक को जागृत करो। चलो और उन उत्तम कोटि के पुरुषों के पास जाओ, जो जीवन के चरम लक्ष्य का बोध करा सकें।
बस, वही क्षण जीवन का सार्थक है जिसे हम पूरी जागरूकता के साथ जीते हैं और वही सच है, जिसे पाना हमारा मकसद है। सच और संवेदना की यह संपत्ति ही नए वर्ष में हमारी सफलता को सुनिश्चित कर सकती है। दुनिया की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत के लिए हर नागरिक इस विश्वास और संकल्प को सचेतन करें कि आज तक जो नहीं हुआ वह अब हो सकता है। आज हमारा देश जी-२० देशों की अध्यक्षता कर रहा है। ऐसे ही बड़े संकल्पों के लिए हम कोशिश करें कि ‘जो आज तक नहीं हुआ वह आगे कभी नहीं होगा’ इस बूढ़े तर्क से बचकर नया प्रण जगाएं। बिना किसी को मिटाए निर्माण की नई रेखाएं खींचें। यही साहसी सफर शक्ति, समय और श्रम को सार्थकता देगा। संकल्पों का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। संकल्पों का टूटना या जारी रहना बेशक दिमाग की तंत्रिकाओं का खेल है, लेकिन दिल इसमें कहीं ज्यादा अहम भूमिका निभाता है। इसकी बदौलत हमारी वे इच्छाएं पूरी हो सकती हैं, जो हमारे हृदय में हमेशा मौजूद रहती हैं, लेकिन कभी साकार नहीं हो पाती। इच्छाओं को साकार करने के लिए हृदय में संकल्प के बीज को अंकुरित करना जरूरी है।
आपके लक्ष्य या संकल्प चाहे जो भी हों, लेकिन ये इस बात को समझने में मदद करते हैं कि क्यों आप कितनी ही मुश्किलें उठाकर उस आदत को बदलने की कोशिश करते हैं जो आपके जीवन का हिस्सा है और संभवतः आपकी गुणवत्ता या आपकी चारित्रिक विशेषता पर बड़ा असर डालती है।
संकल्पों के बल पर ऐसे न जाने कितने हैरतंगेज और चमत्कार सरीखे कार्यों को होते हुए हम अक्सर जिंदगी के आस-पास देखते हैं। महान् दार्शनिक संत आचार्य श्री महाप्रज्ञ का मानना है कि “संकल्प और कुछ नहीं होता वह मात्र मनुष्य के भीतर जागा हुआ एक निश्चय होता है, जागरूक प्रहरी होता है, जो परिस्थितियों, कठिनाइयों के थपेड़ों को झेलता-झेलता उन्हें चूर-चूर करता हुआ अपने ही सामने आकार लेता है, यही मनुष्य की सबसे बड़ी सफलता है।’’
संकल्प का ही बल होता है कि हम अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए समय भी निकाल लेते हैं और समर्पण भी जुटा लेते हैं।
यह सही है कि पुरानी आदतें आसानी से नई आदतों को नहीं पनपने देती। आपके अच्छे विचार और अच्छे कार्यक्रम मैदान छोड़ सकते हैं और ऐसा करने के लिए आपको हालात मजबूर भी कर सकते हैं, लेकिन संकल्प का पहला उसूल है कि उसकी शुरुआत खुरदुरी होती है, लेकिन जमीन समतल तैयार करती है।

छोटे संकल्प अक्सर बड़े बदलाव की नींव रखते हैं। हर महीने एक पौधा लगाना या हर रोज किसी अजनबी को मुस्कराहट देना संभवतया आपके जीवन में भारी बदलाव न ला पाए, लेकिन वे आपकी उस जिंदगी को बरकरार रख पाने में सफल होते हैं, जिसकी चाह लगभग हर व्यक्ति के भीतर विद्यमान होती है। हम जब भी किसी की अंत्येष्टि में सम्मिलित होते होते हैं, तो वहां लिखा वह वाक्य हमको झकझोरता है कि “प्रतिदिन कोई नेक काम करें।” हम संकल्पित भी होते हैं। न केवल एक संकल्प, बल्कि अनेक संकल्प उस दो-चार घंटे की प्रक्रिया में आते-रहते हैं। जरूरत है मन में उत्पन्न होने वाले संकल्पों को आकार देने की, क्योंकि इससे जिंदगी को बदलने और उससे बेहतर बनाने की आधारभूमि तैयार होती है।

Leave a Reply