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कल और आज

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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कल ने कल से कहा-
कल मिलोगे क्या तुम ?
आज सुन कर कल पर
हँस वो पड़ा।
कल ने पूछा आज से-
तुम क्यों हँसे ?
तो आज ने कल से कहा-
यही सुनते आ रहे हैं वर्षों से,
पर जिंदगी में कल कभी
आता ही नहीं।
और तुम कल मिलने को,
बुला हमें रहे।

इस कल-कल के चक्कर में पड़ कर,
न जाने कितने लोगों ने दम तोड़ दिया।
और न जाने कितने लाइन में हैं खड़े,
पर कल तेरा कल कभी नहीं आएगा।

आज में जीने वाला,
आज में जीता है
तभी तो खुशहाल वो सदा रहता है।
कल वाला काल की चक्की में,
पिसता रहता है कल के चक्कर में।
इसलिए आज,कल को,
देखकर बहुत मुस्कराता है।

कल को छोड़ो तुम,आज को देखो,
कल न किसी का हुआ
और न कल होगा।
इसलिए आज में ज्यादा,
होता है वजन।
और जिंदगी कल से,
आज में खुश होती है।
इसलिए आज में जीने वाले सभी,
छूते हैं सफलता की हर मंजिल को॥

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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