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नवाचार में भारत की छलांग बड़ी उपलब्धि

ललित गर्ग
दिल्ली
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भारत दुनिया में नवाचार की दृष्टि से उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है। संभवतः आजादी के बाद यह पहला अवसर है कि, भारत के विकास की दृष्टि से नवाचार (इनोवेशन) के जितने सफल एवं सार्थक प्रयोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे हैं, उतने पूर्व में नहीं हुए हैं। उससे दुनिया में भारत की छवि बदली है एवं प्रतिष्ठा बढ़ी है। दुनिया में तरक्की व प्रगति का बुनियादी आधार नवाचार ही होता है। इस क्षेत्र से भारत के लिए सुखद और गर्व करने योग्य खबर है कि, हमनेे एक बड़ी छलांग लगाई है। एक साल पहले के ४६ वें स्थान के मुकाबले अब हम ४० वें पर आ गए हैं। ७ साल में भारत नवाचार का निर्धारण करने वाले वैश्विक सूचकांक में ८१ वें स्थान से उछलकर ४० वें पायदान पर पहुंच गया है। शीर्ष स्तर पर १ साल में ६ स्थान एवं ७ साल में ४१ स्थान की छलांग काफी मायने रखती है, यह गर्व करने योग्य उपलब्धि है।
भारत को इस वक्त और तेजी से नवाचार के प्रयोग करते हुए अपनी स्थिति और स्थान में बढ़ोतरी करनी चाहिए। इसके लिए एक राष्ट्रीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है, जो वित्त-पोषण के चक्र की शुरुआत करे, जिसके ज़रिए शैक्षणिक क्षेत्र से नए विचार पैदा हों, विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित, जो सरकार द्वारा प्रायोजित हों और सरकारी मदद से उन्हें ‘प्रूफ-ऑफ़-कॉन्सेप्ट’ के स्तर तक विकसित किया जाए, जिसके बाद उद्यम निधि (वेंचर फंडिंग) द्वारा उन्हें व्यापार के जरिए बाजार तक ले जाया जा सके। अधिक लचीलेपन के साथ पूंजी जुटाने में सक्षम होने से ही नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और उद्यमों को लेकर भारत में एक ऐसा क्रांतिकारी दौर आ पाएगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में मूल्य वर्धित विकास को गति मिले।
आज, भारत में उद्यमी ऊर्जा का एक बड़ा भंडार, उत्सर्जित होने की प्रतीक्षा में है। विकास के आर्थिक मॉडल के रूप में, नए से नए विचारों और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के द्वारा भारत अपने १ अरब से अधिक नागरिकों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने हेतु नवाचार की ताक़त का इस्तेमाल कर सकता है। सरकार को नए स्टार्ट-अप्स और ऐसे व्यवसायों को सक्षम बनाने के लिए आगे आना चाहिए जो स्थानीयता एवं स्वदेशी को महत्व देते हैं, लेकिन समृद्ध रूप से वैश्विक प्रभाव बनाने की क्षमता रखते हैं। ऐसा करने से हम वैश्विक मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ा पाएंगे और ‘मेक इन इंडिया’ व ‘इनोवेट इन इंडिया’ की अवधारणाओं को मिलाकर आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में अग्रसर हो पाएंगे, इसी से भारत सक्षम एवं विकसित भारत बन सकेगा, यही नया भारत होगा।
इस वर्ष की छलांग के साथ महत्वपूर्ण यह भी है कि भारत ने ऊंचाई की ओर सतत सफर जारी रखा है, उसकी दिशा एवं दृष्टि स्पष्ट है। यह इसका परिचायक भी है कि देश सही दिशा में जा रहा है। विशेषकर बेहतर माहौल तैयार करने और नवाचार को बढ़ावा देने का काम उल्लेखनीय है।
निःसंदेह सूचकांक ने भारत के इन प्रयासों को प्रमाणित किया है, साथ ही आगे भारत के लिए क्या गुंजाइश है, इस पर भी प्रकाश डाला है।
इसमें अहम यह है कि देश के सिर्फ ४ बड़े शहर बेंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली और मुम्बई ही नवाचार में बेहतर शहरों में अपना नाम दर्ज करा पाए हैं। सिर्फ ४ शहरों के बूते देश ४० वें स्थान पर पहुंच गया है। यदि अन्य नगरों को भी इस योग्य बना दिया जाए, तो इस क्षेत्र में भारत अग्रणी बन सकता है। एक पहलू अनुसंधान का भी है, जिसमें भारत का निवेश निरंतर कम हुआ है। इस गलती को भी सुधारना होगा, क्योंकि अनुसंधान और नवाचार एक-दूसरे के पूरक हैं। एक बेहतर होगा, तो दूसरे की प्रगति स्वतः ही हो जाएगी।
इससे नवाचार का निर्धारण करने वाली वैश्विक सूची में भारत आने वाले सालों में सम्मानजनक एवं सर्वोच्च स्थानों पर पहुंच सकेगा।

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