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नारी की दीन-हीन स्थिति का प्रतिकार है कविताओं में

पुस्तक चर्चा…

दिल्ली।

कविता संग्रह ‘अर्बन नक्सल बीवी’ आकर्षित करने वाला शीर्षक है। सभी शीर्षक से ही कविता की विषय वस्तु का आभास होता है। कविताओं में एक तरफ जहां नारी के दीन-हीन होने की स्थिति पर लेखिका को प्रतिकार करते देखा जा सकता है, वहीं पुरुष के साथ अतरंग क्षणों में भी परस्पर अस्तित्व के न जुड़ने तथा बीच की भावनात्मक दूरी को बड़ी सहजता के साथ व्यक्त किया है। यही संग्रह की बड़ी विशेषता भी है।
यह बात प्रसिद्ध लेखिका- कवयित्री प्रो. डॉ. श्वेता दीप्ति ( पूर्व अध्यक्षा हिन्दी केंद्रीय विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू) ने राष्ट्रीय गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कही। मौका रहा १० वर्ष से हर माह निर्धारित चौथे रविवार को आयोजित होने वाली साहित्यिक गोष्ठी मेंbस्थापित अभिनेत्री प्रतिभा सुमन शर्मा ‘रजनीगंधा’ के प्रथम काव्य संग्रह ‘अर्बन नक्सल बीवी’ पर समीक्षात्मक चर्चा और काव्य पाठ का। इसकी अध्यक्षता का निर्वहन वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. बीना शर्मा (पूर्व निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा) ने किया। इस अवसर पर कविताएं पढ़ी गई। काव्य पाठ और साहित्यिक चर्चा के लिए विशिष्ट वार्ताकारों में वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक प्रो. डॉ. राजेन्द्र गौतम (दिल्ली विवि), प्रो. डॉ रामा सिंह राणा (गाजियाबाद) डॉ. तबस्सुम जहां (कवयित्री एवं फिल्म समीक्षक) तथा कवयित्री एवं अभिनेत्री डॉ. अल्पना सुहासिनी रहीं।
साहित्यकार प्रो. बीना शर्मा ने उपनाम ‘रजनीगंधा’ को ही प्रमुखता देने पर बधाई देते हुए संग्रह के सतत मूल्यांकन में कहा कि सभी कविताएं सच की धरातल और अनुभव जनित समवेदनाओं पर आधारित हैं। डॉ. गौतम ने कहा कि जब कविता प्रतिरोध का स्वर बनती है तो उसका दायित्व बढ़ जाता है। शीर्षक ‘अर्बन नक्सल बीवी’ समाज में फैल रहे आडंबर, असत्य और दिखावे का प्रतिकार भी है और वहीं से आशाओं का संचार भी है। डॉ. रामा सिंह ने कहा कि लेखिका चिंतन-मनन करने की मानसिकता और छोटी-छोटी घटना के अंदर तक महसूस करने वाला संवेदनशील हृदय रखती हैं। नारी के अस्तित्व या वजूद को कविताओं द्वारा स्थापित करने से संग्रह की उपयोगिता बढ़ी है।
डॉ. सुहासिनी ने व्यक्तिगत अनुभव और लेखिका से अपनी निजता का हवाला देते हुए कहा कि कविताएं जहां एक तरफ यथार्थ पूरक हैं, वहीं वे स्नेह, प्रेम और ममत्व की कोमल अनुभूतियों को भी अपनी लेखनी के माध्यम से जगह-जगह उकेरती हैं। लेखिका में कविताओं के सृजन की असीम संभावनाएं तो हैं ही, साथ ही वे एक अच्छी कहानीकार भी हैं, यह आने वाले दिनों में साबित होगा।
डॉ. तबस्सुम जहां ने कहा कि ‘रजनीगंधा’ द्वारा सृजित काव्य संग्रह की सभी कविताएं समाज में घटित स्थितियों और परिस्थितियों की बेबाक बयानी हैं।
मंच संचालन और संयोजन वरिष्ठ लेखक अवधेश सिंह बंधुवर ने किया। वार्ता के अंतिम दौर में आभार प्रदर्शन प्रख्यात अभिनेता यशपाल शर्मा ने किया।