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नारी गाथा…

दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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मैं हूँ तो ये संसार है,
स्त्री कहो,कांता या भामिनी।
दर्प है मुझे इस बात का,
कि हूँ मैं इस विश्व की नारी॥

आसान नहीं है रिश्ते निभाना,
बीवी,बहू और बेटी के।
ईश्वर का दर्जा मिला है मुझे,
जननी के स्वरूप में॥

नीर की भाँति निर्मल हूँ,
तो समझो न कमज़ोर।
‘महाकाली’ का रूप भी हूँ,
आँच यदि आए कुटुंब पर॥

दिया जन्म मैंने नंदलाल को,
माँ देवकी मैं कहलाऊँ।
कार्तिकेय-गणेश हैं मेरे तनुज,
शिव-अर्धांगिनी सती कहलाऊँ॥

प्रसिद्ध महिलाओं की संख्या नहीं है कम,
मदर टेरेसा,महादेवी वर्मा,सुचेता कृपलानी है उदाहरण।
सानिया मिर्जा,साइना नेहवाल,मैरी कॉम हैं आज की नारी,
इन्हें टक्कर दे सके ऐसा है किसी में दम ?

ऐ मानव! रख ऐसी नज़र,
कि लड़की न घबराए।
तुझे देखकर दुकूल नहीं,
अपनी जुल्फें वह लहराए॥

‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवताः’,
है इस संसार का रचेता जो,माँ से ही है अस्तित्व उसका।
है इंतज़ार उस पल का जब ऐसा दिन आएगा,
कैलेण्डर का हर दिवस सिर्फ ‘नारी दिवस’ कहलाएगा॥

परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।

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