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मेरा रफ़ीक

दृष्टि भानुशाली
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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हयात की एक ह़कीकत सुनो,
मसरूफ़ हैं सब अपनी जिंदगी में।
हसीन लम्हों में सब होंगे साथ,
अलविदा कहेंगे वक्त-ए-गर्दिशों में।

गर्दिश वक्त में एहसास हुआ,
कोई भी मेरे साथ न था।
तब कल्ब ने दिया दिलासा कि,
मेरा रफ़ीक,मेरा आशना,
मेरा हमदम मेरे साथ था॥
साथ था केवल उस दोस्त का,
जो अश्क थे मेरे पोंछता।
मेरी खुशियों में थी उसकी खुशियाँ समाई, तो
बढ़ा दिया था कंधा अपने सिर को टेक लगाने को॥

ऐ दोस्त ! एक इल्तिजा है तुझसे,
फ़रियाद न करना यदि भूल हुई हो मुझसे।
मर के भी हमारी दोस्ती अमर हो,
यही दुआ मैं माँगू परवरदिगार से॥

खुदा से यही गुजा़रिश है,
करेंं इनायत दोस्त पर मेरे।
तबस्सुम रहे उसकी सूरत पर सदा,
मैं जिंदा रहूँ या कब्र में॥
(इक दृष्टि यहाँ भी:रफीक=साथी,दोस्त, हयात=जीवन,जिंदगी,कल्ब=दिल,आशना=प्रेम पात्र,स्त्रीप्रेमी)

परिचय-दृष्टि जगदीश भानुशाली मेधावी छात्रा,अच्छी खिलाड़ी और लेखन की शौकीन भी है। इनकी जन्म तारीख ११ अप्रैल २००४ तथा जन्म स्थान-मुंबई है। वर्तमान पता कोपरखैरने(नवी मुंबई) है। फिलहाल नवी मुम्बई स्थित निजी विद्यालय में अध्ययनरत है। आपकी विशेष उपलब्धियों में शिक्षा में ७ पुरस्कार मिलना है,तो औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटबाल खेल में प्रथम स्थान पाया है। लेखन,कहानी और कविता बोलने की स्पर्धाओं में लगातार द्वितीय स्थान की उपलब्धि भी है,जबकि हिंदी भाषण स्पर्धा में प्रथम रही है।

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