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….पर तुम कब आए

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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प्रतिपल आकुलता रहती है,
प्रतिक्षण रहता हूँ मैं उन्मन।
क्यों आघात किया आकर के,
मम विरही हृदय में निर्मम।
कितना पूछा द्रवित मन से,पर ना बताए,
रोते-रोते रैना बीती,पर तुम कब आए॥

घुमड़-घुमड़ कर बदरा आकर,
मुझे विरह-संगीत सुनाए।
चातक सम मन हो पिपासित,
पीहू-पीहू-गीत सुनाए।
रिम-झिम,रिम-झिम नैना बरसे,
मिलन स्वाति न आये
रोते-रोते रैना बीती,पर तुम कब आए॥

साख-साख पर आकर कोयल,
कू-कू का संगीत सुनाए।
चमक-चमक कर बिजली गर्जन,
मन को है बार-बार डराए।
जा-जा द्वार पर तुझे देखूँ,
पर नजर न आए,
रोते-रोते रैना बीती,पर तुम कब आए॥

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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