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दौलत और मुहब्बत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’
बसखारो(झारखंड)
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किसी का दिल नहीं तौलो,कभी धन और दौलत में,
नहीं औकात सिक्कों में…खरीदे दिल तिजारत में।
नहीं बाज़ार में मिलता,…नहीं दिल खेत में उगता-
समर्पण बीज जो बोता,…वही पाता मुहब्बत में॥

तराजू में नहीं तौलो,…किसी मासूम से दिल को,
बड़े निश्छल बड़े कोमल,बड़े माशूक़ से दिल को।
जरा-सी चोट क्या लगती,बिखरता काँच के जैसा-
नहीं तोड़ो मुहब्बत में,कभी नाज़ुक से दिल को॥

कभी परखो अगर दिल को,ये दौलत हार जाती है,
मुहब्बत जीत जाती है…ये नफ़रत हार जाती है।
दिलों के खेल में अक्सर,सभी दिल हार जाते हैं-
अगर जो जीतना हो दिल,मुहब्बत हार जाती है॥

नहीं दौलत-नहीं शोहरत,न नफ़रत काम आएगी,
सभी जब साथ छोड़ेंगे,…ये हसरत काम आएगी।
भरा जो प्रेम भावों से…वही दिल जीत पाता है-
बसा लो प्यार तुम दिल में,मुहब्बत काम आएगी॥

परिचय- पंकज भूषण पाठक का साहित्यिक उपनाम ‘प्रियम’ है। इनकी जन्म तारीख १ मार्च १९७९ तथा जन्म स्थान-रांची है। वर्तमान में देवघर (झारखंड) में और स्थाई पता झारखंड स्थित बसखारो,गिरिडीह है। हिंदी,अंग्रेजी और खोरठा भाषा का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा-स्नातकोत्तर(पत्रकारिता एवं जनसंचार)है। इनका कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता और संचार सलाहकार (झारखंड सरकार) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर शिक्षा,स्वच्छता और स्वास्थ्य पर कार्य कर रहे हैं। लगभग सभी विधाओं में(गीत,गज़ल,कविता, कहानी, उपन्यास,नाटक लेख,लघुकथा, संस्मरण इत्यादि) लिखते हैं। प्रकाशन के अंतर्गत-प्रेमांजली(काव्य संग्रह), अंतर्नाद(काव्य संग्रह),लफ़्ज़ समंदर (काव्य व ग़ज़ल संग्रह)और मेरी रचना  (साझा संग्रह) आ चुके हैं। देशभर के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपको साहित्य सेवी सम्मान(२००३)एवं हिन्दी गौरव सम्मान (२०१८)सम्मान मिला है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय श्री पाठक की विशेष उपलब्धि-झारखंड में हिंदी साहित्य के उत्थान हेतु लगातार कार्य करना है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को नई राह प्रदान करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-पिता भागवत पाठक हैं। विशेषज्ञता- सरल भाषा में किसी भी विषय पर तत्काल कविता सर्जन की है।

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