कुल पृष्ठ दर्शन : 18

You are currently viewing पहला कदम ‘लक्ष्य’ संकल्प

पहला कदम ‘लक्ष्य’ संकल्प

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

*************************************************

बढ़े राह पहला कदम, अटल लक्ष्य संकल्प।
आलस की दुनिया तजो, पौरुष नहीं विकल्प॥

सोच समझ रखना कदम, राह बहुत संताप।
मत फिसले दुर्गम शिखर, हो पछतावा आप॥

डिगे नहीं पहला कदम, सोच समझ आरोह।
ओज धैर्य साहस सबल, टूट समझ अवरोह॥

कदम-कदम बढ़ते प्रथम, पौरुषेय सच चाह।
शान्ति प्रेम समरस हृदय, मिले बहुत हमराह॥

एक लक्ष्य बढ़ते कदम, अन्तर्मन जय गान।
बनें राष्ट्र सर्जक प्रगति, स्वाभिमान सम्मान॥

खिले बागबां भारती, सुरभित दुनिया देश।
नव विहान पहला कदम, बढ़े मिटाए क्लेश॥

कर्म वीर विजयी कदम, जिसे शत्रु पहचान।
अर्पण निज सर्वस्व को, भारतार्थ बलिदान॥

विजयी होता रण वही, जिसे आत्मविश्वास।
आदर दे बाधा विविध, कठिनाई आभास॥

अविरत होता यत्न जब, अटल धेय संकल्प।
मिले सफलता जिंदगी, पौरुष मात्र विकल्प॥

हो मानव हर्षित हृदय, जब पौरुष हो जीत।
राष्ट्रगीत समधुर ललित, देशभक्ति संगीत॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥