कुल पृष्ठ दर्शन : 271

You are currently viewing पारिजात

पारिजात

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

पारिजात फूल खिले रजनी,
बगियन रहते महके-महके।

दृग छोर पटे दिख भू धवला,
कुकि नाच रही कुहके कहके।

जब भोर हुये तब भूमि झरे,
रवि छाँव दिखे लहके-लहके।

हिन रंग सुमन मन रंग गया,
भर गंध हिया बहके-बहके।

बिछ पुष्पन श्वेत धरा तल में,
तल चादर में तह के तह के।

रुचि डाल लता नत झूम रहे,
पित छींट रहे ढहके ढहके।

सुचि देख विहान छटा खग के,
मन साथ उड़ा चहके-चहके।

‘ममता’ मति भावविभोर हुई,
पारिजात संग लहके-लहके॥

परिचयममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply