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प्यार बरसाइए

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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नफरतें फैले नहीं, खुशियाँ ही खेलें यहीं,
लड़ाई की ना बात हो, प्यार बरसाइये।
दिल से ये दिल मिलें, प्यार के दो फूल खिलें,
जलती इस रेत में, जल बरसाइये।

भाईचारा बना रहे, सब यही बात कहें,
हाथ मिलालो पहले, गले मिल जाइये।
सर्वधर्म सम्मान हो, देश यह महान हो,
आदमी को आदमी का, भाई मान जाइये।

प्यारी-सी प्यारी हो बात, इससे हो शुरुआत,
कर के दिल को बड़ा, जरा दिखलाइये।
चलें मिल कर साथ, एकता की करें बात,
नज़दीक सभी आयें, प्यार जतलाइये।

जग यह परिवार, आपस में रखें प्यार,
अपना कर्तव्य सोचें, उसको निभाइये।
जियो, जीने दो, जान लो, अहिंसा मंत्र मान लो,
हर जगह शांति हो, ऐसा कर जाइये।

सबको भड़कायें जो, खूब आग लगायें वो,
समाज के दुश्मन हैं, अब जान जाइये।
कड़वी बातें ना कहो, मिल-जुल कर रहो,
प्यार के ढाई अक्षर, जरा बोल जाइये॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।