हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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नारी: मर्यादा,बलिदान, हौसले की मूरत…
मर्यादा, बलिदान, हौंसले, की सूरत प्यारी,
प्रभु मूरत नारी।
दिखते नहिं भगवान उन्हीं की, तो सूरत न्यारी, प्रभु मूरत नारी॥
प्रभु ने सृष्टि सजाई, नारी रचना भाई,
प्रभु की जीवन लीला, भी नारी से आई।
प्रभु से पाकर,हर वैभव को, नारी बलिहारी,प्रभु मूरत नारी।
मर्यादा, बलिदान, हौंसले,…
जीवन भूल-भुलैय्या, भवसागर में शैय्या,
नारी माँ बन रचती, हर जीवन की नैय्या।
नारी का सम्मान मिटा देता दुविधा सारी,
प्रभु मूरत नारी।
मर्यादा, बलिदान, हौंसले,…
श्रृद्धा, त्याग, तपस्या, से हर जीवन रचती,
हर जीवन की समस्या, नारी से ही मिटती।
सुख की खातिर,नवजीवन के, दु:ख सहती भारी,
प्रभु मूरत नारी।
मर्यादा, बलिदान, हौंसले,…॥
परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।