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आगे बढ़ता चल

उषा शर्मा ‘मन’
जयपुर (राजस्थान)
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राही आगे बढ़ता चल,
ना हो परेशान,
ना हो हताश,
मेहनत संग आगे बढ़ता चल।

राही आगे बढ़ता चल…
निराशा दूर कर आस संजोए,
विश्वास संग आगे बढ़ता चल।

राही आगे बढ़ता चल…
उम्मीद की नई किरण जलाए,
आत्मविश्वास संग आगे बढ़ता चल।

राही आगे बढ़ता चल…
मंजिल तेरी राह देख रही,
हौंसलों संग आगे बढ़ता चल।

राही आगे बढ़ता चल…
अपने लक्ष्य पर डटे रह,
संयम संग आगे बढ़ता चल।

राही आगे बढ़ता चल…
मुश्किलों को संघर्ष से दबा के,
दृढ़ संकल्प संग आगे बढ़ता चल॥

परिचय-उषा शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। जन्म तारीख २२ जुलाई १९९७ एवं स्थान-मानपूर नांगल्या(जयपुर) है। राजस्थान निवासी उषा शर्मा ‘मन’ का वर्तमान निवास बाड़ा पदमपुरा( जयपुर)में ही है। इनको राष्ट्रभाषा हिंदी सहित स्थानीय भाषा का भी ज्ञान है। ‘मन’ की पूर्ण शिक्षा-बी.एड.एवं एम. ए.(हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में फिलहाल अध्ययन जारी है। आपकी लेखन विधा-लेख कविता,संस्मरण व कहानी है। पसंदीदा हिंदी लेखक जयशंकर प्रसाद को मानने वाली उषा शर्मा ‘मन के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-
“हिंदी भारत देश के लिए
गौरवमयी भाषा है,
देश की माला का स्वरूप,
भारत माँ का मान है हिंदी।
साहित्य की मन आत्मा का,
जन्मों-जन्मों का साथ है हिंदी।
कवि लेखकों की शान ही हिंदी,
हिंदुस्तान के नाम में है हिंदी॥”

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